दुनिया भर के बाज़ारों में उठापटक के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की जिसमें फैसला किया गया कि रेपो रेट में 0.50 फीसदी के बढ़ौतरी की जाएगी। अब रेपो रेट 5.90 फीसदी पर आ गया है जो पहले 5.40 फीसदी पर था और यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के फैसलों के बारे में जानकारी दी और कहा कि रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की जा रही है। अब रेपो रेट 5.40 फीसदी की जगह 5.90 फीसदी होगा। दास ने कहा कि महंगाई की दरें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं और देश को आयातित प्रोडक्ट्स की ऊंची दरों का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे करेंसी की बढ़ती कीमतें भी कारण हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां हैं। पिछले ढाई साल में दुनिया ने दो बड़े वैश्विक बदलाव देखे हैं जिनमें कोविड संकटकाल और रूस-यूक्रेन युद्ध शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लगातार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने इसका उचित तरीके से सामना किया है। जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियों में बदलाव का असर भी देखा जा रहा है।
दास ने कहा – ‘देश में ग्रामीण मांग में तेजी दिख रही है और निवेश की स्थितियों में भी सुधार हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब महंगाई दर काबू में आ सकेगी। माली साल 2023-24 के लिए महंगाई दर का अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।
उन्होंने कहा कि भारत में महंगाई दर के आगे भी बढ़ने की आशंका है पर भारत की स्थिति कई इमर्जिंग इकोनॉमी के मुकाबले काफी बेहतर है। दास ने कहा है कि आरबीआई का अकोमोडेटिव विड्ऱॉल रुख बरकरार है और इसके पीछे इंफ्लेशन रेट का लगातार बढ़ना एक बड़ा कारण है। ग्लोबल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हालिया नरमी अगर कायम रही तो महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है।
दास ने कहा – ‘वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में महंगाई दर छह फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है। महंगाई की ऊंची दर को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति का सूझबूझ के साथ मौद्रिक नीति को लेकर उदार रुख को वापस लेने पर कायम रहने का फैसला लिया गया है।’