बिहार के सारण में जिन इलाकों में तीन दर्जन से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, वहां पुलिस-प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आ रही है। इन्हीं इलाकों में चार महीने पहले भी देसी शराब पीने से 18 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन, इन मौतों के मामले में पुलिस-प्रशासन ने जो सुस्ती दिखाई, उसका नतीजा हुआ कि उस कांड के आरोपी पकड़े नहीं गए। जहरीली शराब (Hooch Tragedy) का काला धंधा करने वालों के हौंसले बुलंद बने रहे। और, एक बार फिर लोगों की जानें गईं।
ताजा घटना सारण जिले के मशरक, इसुआपुर, मढौरा और अमनौर थाना क्षेत्र की है। यहां 15 दिसंबर की दोपहर तक 40 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। सभी की जान जहरीली शराब पीने के चलते जाने की आशंका जताई जा रही है। ये इलाके पांच किलोमीटर के दायरे में हैं। बताया जाता है कि इन इलाकों में शराब बनाने और सप्लाई करने वाला एक ही गैंग है। मरने वालों में कुछ वे भी हैं जो शराब का धंधा करते थे। ये धंधेबाज थाना के पास ही अपना धंधा चलाते हैं। इन्हीं इलाकों में चार महीना पहले हुई घटना में मरने वाले लोगों की विसरा रिपोर्ट आने में ही 94 दिन लग गए। पुलिस तत्पर रहती तो दस दिन में यह काम हो सकता था और आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती थी। इस घटना के बाद भी पुलिस इलाके में शराब का अवैध धंधा रोकने में नाकाम रही।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा है कि शराबबंदी के बाद 1.64 करोड़ लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। इसे और सख्ती से लागू किया जाएगा। नीतीश कुमार ने कहा है कि लोगों को जागरूक होना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि शराबबंदी के बावजूद शराब मिल रही है तो मिलावट होगी ही। ऐसे में शराब पीएंगे तो मरेंगे ही। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान भी चला चुके हैं।