चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के छात्रावास की लड़कियों के निजी वीडियो की रिकॉर्डिंग और उसके प्रसार और वायरल होने कई खबर जहाँ भय और क्रोध की आंधी पैदा की वहीं इसकी ज़रुरत भी अब महसूस होने लगी है कि निजता के अधिकार के लिए एक सुरक्षित कानून की मांग जोर पकड़ने लगी है। मोहाली स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्राओं की निजता के सार्वजानिक होने से इस मुद्दे की संवेदनशीलता और बढ़ गयी है। यह घटना के बाद छात्रों के गुस्से से उपजे प्रदर्शन के बाद जिस तरह यह घटना राष्ट्रीय सुर्खियों में आई और चिंतित माता-पिता अपनी बेटियों को घर ले जाने के लिए अगले दिन विश्वविद्यालय परिसर पहुंच गए, उससे गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
छात्रावास में साथी छात्राओं के ‘आपत्तिजनक वीडियो’ के कथित रूप से साझा होने ने इस निजी विश्वविद्यालय में भय, अफवाहों और अशांति का माहौल बना दिया। घटना सामने आने के बाद कुछ गिरफ्तारियां हुईं, हालांकि अधिकारियों ने दावा किया कि किसी तरह की गोपनीयता भंग नहीं हुई है। लेकिन तब तक चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. आरएस बावा ने एक बयान में कहा, ‘सोशल मीडिया पर ऐसा कहा गया कि 60 आपत्तिजनक एमएमएस साझा किए गए, जिसके बाद कुछ लड़कियों ने आत्महत्या का प्रयास किया। यह पूरी तरह से झूठ और निराधार है। विश्वविद्यालय की प्रारंभिक जांच के दौरान, किसी भी छात्र से कोई वीडियो नहीं मिला, सिवाय एक लड़की के शूट किए गए निजी वीडियो के। इसे उसने अपने प्रेमी के साथ साझा किया था।’ वैसे घटना की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई थी। छात्रों का सवाल है कि अगर कोई वीडियो नहीं था, तो विश्वविद्यालय की पीजी प्रथम वर्ष की एक छात्रा, जो विवाद के केंद्र में थी, को उसके सेना के एक कर्मचारी कथित प्रेमी सेना और हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू गांव के एक मूल निवासी के साथ गिरफ्तार क्यों किया गया ?
घटना ने अधिकारियों और समाज के सामने प्रासंगिक सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि यह निजता का उल्लंघन है। यह जगाने वाली घटना है क्योंकि देश में हर दिन और हर घंटे इसी तरह की घटनाएं होती रहती हैं, और उनमें से अधिकांश प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता की कमी, सामाजिक कलंक के डर और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के भरोसे की कमी के कारण रिपोर्ट नहीं की जाती हैं। इस मामले में, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस प्रकरण की जांच शुरू करवाई, जिसमें कहा गया कि ‘बेटियां पंजाब की गरिमा और गौरव हैं’। मजिस्ट्रियल जांच के आदेश के अलावा एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी इस मामले से सख्ती से निपटने के लिए पंजाब के डीजीपी को पत्र लिखा है। इसके बाद, घटना की प्राथमिकी धारा 66ई आईटी अधिनियम (गोपनीयता का उल्लंघन) के तहत दर्ज की गई और आरोपियों पर अब आईपीसी की धारा 354 सी (दृश्यरतिकता) का आरोप लगाया गया है।
इस घटना ने एक बार फिर निजता के अधिकार को सुरक्षित रखने का साफ़ संदेश दिया है क्योंकि छात्राओं की निजता का उल्लंघन चिंता का बड़ा विषय है जो सार्वजनिक रूप से उभरे रोष के बीच इस बात पर जोर देता है कि निजता की रक्षा की जानी चाहिए। इन से यह भी जाहिर हुआ है कि उपलब्ध कानून साइबर अपराधों से निबटने में नाकाम रहे हैं।