कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी साल 2022 के दौरान 67,228 करोड़ रुपये का बकाया राशि नहीं वसूल पा रहा है। सेबी ने इसे मुश्किल से वसूल पाने वाले रकम की कैटेगरी में डाल दिया है। 96,609 करोड़ रुपये का कुल बकाया, उन संस्थाओं से वसूलने की आवश्यकता है, जिन्होंने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है। सेबी के अनुसार, इन संस्थाओं ने जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं किया है और न ही निवेशकों के पैसे वापस करने के निर्देश का पालन किया है।
2021-22 की सालाना रिपोर्ट में रेगुलेटर ने कहा कि 96,609 करोड़ रुपये में से 63,206 करोड़ रुपये यानी कि 65 प्रतिशत बकाया राशि सामूहिक निवेश योजना के तहत पीएसीएल लिमिटेड और सहारा समूह की कंपनी, सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पब्लिक इश्यू से संबंधित है। इसके साथ ही 68,109 करोड़ रुपये यानी कुल बकाया का 70 फीसदी रकम कोर्ट और कोर्ट की ओर से नियुक्त समितियों के तहत कार्रवाई के अधीन है, जिसका मतलब है कि फैसला आने के बाद ही सेबी की ओर से वसूली की कार्यवाही की जा सकती है।
नियामक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में 67,228 करोड़ रुपये के बकाया को मुश्किल से वसूली (डीटीआर) के तहत रखा है। डीटीआर के बारे में बताते हुए बाजार निगरानी बोर्ड सेबी ने कहा कि यह वह बकाया है, जो वसूली के सभी तरीकों को समाप्त करने के बाद भी वसूल नहीं किया जा सका। ऐसे में इसे डीटीआर के तहत रखा जाता है।
गौरतलब है कि बाजार नियामक ने 2021-22 के दौरान जांच के लिए प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से संबंधित 59 नए मामलों को उठाया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में उठाए गए 94 मामलों से काफी कम है। ये सभी मामले प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से संबंधित थे, जिसमें बाजार में हेरफेर, कीमतों में हेराफेरी और इनसाइडर ट्रेडिंग शामिल थे।
बता दें कि 2021-22 के दौरान सेबी ने 176 मामलों में कार्रवाई शुरू की, जबकि 226 मामलों का निपटारा किया। वहीं मार्च 2022 के अंत तक, 426 मामले कार्रवाई के लिए लंबित थे। इन कार्रवाई का मकसद नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं की पहचान करना है। जांच के दौरान बैंक खाते एवं केवाईसी डिटेल, संस्थान के बारे में जानकारी, कॉल डाटा रिकॉर्ड जैसे जानकारियों का विश्लेषण होगा।