प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (7 नवंबर) को सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव की 553वीं जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में हिस्सा लिया। ये कार्यक्रम राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के निवास स्थान पर हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी आए दिन सिख गुरुओं से संबंधित कार्यक्रमों में लगातार हिस्सा लेते रहते हैं और गुरुद्वारे में मत्था टेकने भी जाते हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सिख गुरुओं की शिक्षाएं प्रकाश की किरण की तरह जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे दुनिया भर के लोगों के लिए को रास्ता दिखा रही हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘जब भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ था तब हमारे पंजाब के लोगों ने, देश के लोगों के लिए जो बलिदान दिया, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरुआत भी की है। विभाजन के शिकार सिख हिंदू परिवारों को अपने देश में वापस लाने के लिए हमने सीएए कानून लाकर उन्हें भारतीय नागरिकता देने का प्रयास किया है।’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकाश पर्व का जो महत्व, बोध सिख परंपरा में रहा है आज पूरा देश उसी में तन्यमयता से सेवा और कर्तव्य की परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। पीएम मोदी ने आगे बताया कि गुरु नानक देव जी ने हमें जीवन जीने का मार्ग दिखाया था। नानक देव ने कहा था कि नाम जपो, कीरत करो वंड छको। इस एक वाक्य में आध्यात्मिक चिंतन भी है भौतिक समृद्धि का सूत्र भी है और सामाजिक समरसता की प्रेरणा भी है।
सिख धर्म के 10 गुरुओं में सबसे पहले गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को साल 1469 रावी नदी के किनारे तलवंडी नाम के गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरू थे। इसलिए हर साल सिख समुदाय इस दिन को गुरु पूरब या प्रकाश पर्व के रूप में मनाता है। अब दुनिया भर में गुरु नानक देव के जन्म को गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है।