भारत में चल रहे टेलीविजन चैनलों के लिए दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामग्री पर कुछ मानदंड भी निर्धारित किए हैं। विचारों के ध्रुवीकरण, उत्तेजक बहस और टेलीविजन पर विचारों के संकीर्ण लक्ष्य रखने के समय में, जहां कहीं भी लागू हो, चैनलों को हर दिन कम से कम 30 मिनट के लिए राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर सामग्री प्रसारित करनी होगी। ‘भारत में सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश, 2022’ बताते हैं कि एयरवेव्स और फ्रीक्वेंसी सार्वजनिक संपत्ति हैं और इसके समाज के सर्वोत्तम हित में उपयोग करने की जरूरत है। विदेशी चैनलों को छोड़ भारत में काम करने की अनुमति वाली कंपनी को जनता की सेवा में सामग्री प्रसारित करनी होगी। जिन विषयों को चुना गया है उनमें शिक्षा और साक्षरता का प्रसार, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण, पर्यावरण की सुरक्षा और सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता शामिल हैं। ये ऐसे विषय हैं जिन पर बहुत अधिक जागरूकता की जरूरत महसूस की जाती रही है।
साल 2008 की अपनी सिफारिशों में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने एक सार्वजनिक सेवा दायित्व का सुझाव दिया था, जिसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मान लिया है। लेकिन मुआवजे के मानदंडों पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है और ही यह साफ़ है कि टीवी पर सार्वजनिक सेवा घटक के लिए बिल कौन देगा। इसी 9 नवंबर से प्रभावी दिशा-निर्देश, 2011 के बाद से संचालन में नियमों की जगह लेते हैं और इनमें सरकार ने कई उपायों की घोषणा की है। इसमें भारत को एक टेलीपोर्ट हब बनाना भी शामिल है। सरकार ने कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण के लिए अनुमति लेने की जरूरत को खत्म कर दिया है। सीधे प्रसारण के लिए केवल कार्यक्रमों का पूर्व पंजीकरण जरूरी होगा। जहां तक 30 मिनट के सार्वजनिक सेवा स्लॉट की बात है, मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा है कि तौर-तरीकों के बारे में हितधारकों से सलाह ली जाएगी, जिसे सुलझाना होगा।