भारत के पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस का शुक्रवार को सफलता पूर्वक प्रक्षेपण कर दिया गया। विक्रम-एस ‘मिशन प्रारंभ’ का हिस्सा है। इस रॉकेट का निर्माण स्काई रूट एयरोस्पेस ने किया है।
निजी क्षेत्र की इस कंपनी ने 2020 में केंद्र सरकार की अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के घोषणा के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ गयी है।
इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के केंद्र से किया गया। देश का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का प्रक्षेपण होने के बाद देश का निजी क्षेत्र का यह पहला प्रयोग सफल रहा है।
स्काईरूट एयरोस्पेस चार साल शुरू हुआ स्टार्ट-अप है। सरकारी स्वामित्व वाले इसरो के प्रभुत्व वाले देश के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र का प्रवेश बड़ी घटना है। अंतरिक्ष नियामक ने 18 नवंबर को भारत के इस पहले निजी रॉकेट प्रक्षेपण को मंजूरी दी थी।
विक्रम-एस सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसके प्रक्षेपण के बाद 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा। रॉकेट का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और दिवंगत वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है।
यह रॉकेट मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड लेकर गया है। छह मीटर लंबा यह रॉकेट दुनिया के पहले कुछ ऐसे रॉकेट में शामिल है जिसमें घुमाव की स्थिरता के लिए 3-डी प्रिंटेड ठोस प्रक्षेपक हैं।