मुंबई कलिना में सेंट्रल लाईब्रेरी कार्य के लिए सरकार को 107 करोड़ अतिरिक्त नुकसान

मुंबई सांताक्रूज ईस्ट स्थित कलिना यूनिवर्सिटी प्लॉट पर पिछले 12 साल से ठप पड़े सेंट्रल लाइब्रेरी के काम को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र सरकार पर 190 करोड़ रुपये  अतिरिक्त बोझ पड़ेगा । महाराष्ट्र सरकार द्वारा इंडिया बुल्स को 137.07 करोड़ पहले ही दिए जा चुके हैं और अधूरे कार्यों के लिए 53 करोड़ का टेंडर जारी किया जा चुका है।  यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने दी है। अपेक्षित व्यय को देखते हुए अब भी यह सामने आया है कि सेंट्रल लाइब्रेरी के कार्य में सरकार को 107 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ है।

अनिल गलगली ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से सेंट्रल लाइब्रेरी के ठप पड़े काम की जानकारी मांगी थी । 26 नवंबर 1993 को सरकार ने सेंट्रल लाइब्रेरी के लिए मुंबई युनिवर्सिटी को 1.61 लाख में 4 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया। सेंट्रल लाइब्रेरी के निर्माण के लिए 23423 वर्ग मीटर निजीकरण के माध्यम से निर्माण के लिए इंडिया बुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। सेंट्रल लाइब्रेरी के निर्माण के एवज में 18,421 वर्ग मीटर के निर्माण की अनुमति देने वाले 99 वर्षों की लंबी अवधि के लिए 1 प्रति वर्ग में रेट फिक्स था। 6 जुलाई 2010 को कार्य आदेश जारी कर 36 माह में पूरा करने पर सहमति बनी। इसे 19 फरवरी, 2009 को कैबिनेट की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी द्वारा अनुमोदित किया गया था।

कैबिनेट की इन्फ्रास्ट्रक्चर कमेटी ने 3 सितंबर, 2019 को इंडिया बुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड द्वारा परियोजना को पूरा नहीं करने के मद्देनजर डेवलपर द्वारा मांगी गई राशि और मुआवजे के भुगतान को मंजूरी दे दी। 7000 वर्ग मीटर क्षेत्र के भूखंड का हस्तांतरण रद्द कर दिया गया। विकासकर्ता को 137.07 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है तथा 6 मंजिला सेंट्रल लाइब्रेरी के अधूरे निर्माण को पूरा करने के लिए 46.67 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं। 53 करोड़ खर्च का टेंडर जारी किया गया है और एक साल के भीतर सेंट्रल लाइब्रेरी का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।

गलगली बताते हैं कि इस ठेके से सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि 107 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान होगा और ठेका पूरा नहीं करने वाली कंपनी इंडिया बुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड को फायदा हुआ। क्योंकि निर्माण की लागत 82.49 करोड़ होते हुए किस आधार पर विकासकर्ता को 137.07 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया है, इसकी जांच की जानी आवश्यक है। गलगली ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भेजे पत्र में मांग की है कि इस मामले में तत्कालीन मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों की उच्च स्तर पर जांच की जाये ।

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