बालू के अभाव में विकास कार्य हुआ धीमा लगभग 15 लाख मजदूर हुए बेरोजगार , काम के अभाव में मजदूर बन रहे हैं बालू चोर । रिपोर्ट-मनप्रीत सिंह
झारखंड सरकार के लचर व्यवस्था के कारण पूरे राज्य में बालू की कालाबाजारी और चोरी जोरों पर है। जिससे राज्य सरकार को प्रतिमा माह करोड़ों रुपए राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं बालू की चोरी और कालाबाजारी करने वालों की पौ बारह है । वह लगभग प्रतिदिन माह सौ करोड़ रूपए से अधिक की कमाई कर रहे हैं। महंगे बालू के कारण विकास कार्य धीमा हो गए हैं। जिसका असर भवन निर्माण सहित अन्य विकास कार्य में लगे लगभग 15 लाख देहाडी मजदूरों के रोजगार पर असर पड़ा है। वे भुखमरी की स्थिति में है । इनमें से अधिकांश मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से दूसरे प्रदेश के लिए पलायन कर गए हैं।
झारखंड में लगभग 700 बालू घाट है
झारखंड में रघुवर सरकार(भाजपा) के समय 700 से अधिक बालू घाटों की पहचान की गई थी। जिसमें से कैटिगरी 2 के 608 बालू घाट है। इन बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी करता है ।जो 4 वर्षों से उन बालू घाटों का टेंडर नहीं करा पाया है।
वर्ष दो हजार सत्रह – अट्ठारह से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है । इन घाटों को क्षेत्रफल के अनुसार तीन श्रेणी में रखा गया है ,यानी ए, बी, सी के रूप में की गई है । इस श्रेणी में 10 हेक्टेयर से कम और बी श्रेणी में 50 हेक्टेयर से कम व सी श्रेणी में 50 हेक्टेयर से अधिक बालू घाटों को रखा गया है। जेएस एमडीसी द्वारा इन बालू घाटों के संचालन के लिए माइंस डेवलपमेंट ऑपरेटर (एमडीओ) की नियुक्ति के लिए टेंडर को सूचीबद्ध जेएसएमडीसी द्वारा किया गया था। दूसरे चरण में एजेंसी के चयन के लिए फाइनेंसियल की प्रक्रिया जिला वार संबंधित उपायुक्त के द्वारा बालू घाटों के हिसाब से करना था। उपायुक्त को संबंधित घाटो के लिए श्रेणीवार सूचीबद्ध एजेंसी में से कैटगरी ए और बी कैटिगरी के बालू घाटों के लिए वित्तीय टेंडर के माध्यम से एजेंसी का चयन करना था ।इस दौरान एनजीटी के 5 सितंबर के आदेश से जिलों का डीएसआर तैयार कर बंदोबस्ती करने का छूट दी गई है ।जिसमें सभी बालू घाटों के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार कराया जा रहा है। इसके बाद इसे स्टेट इन्वायरमेंट के इंपैक्ट असेसमेंट कमेटी (सिया) के पास भेजा जाएगा और पर्यावरण स्वीकृति ली जाएगी ।फिलहाल डीएमआर जिलों द्वारा तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है।
बालू घाटों के संचालन के लिए 3 वर्ष की छूट दी गई
झारखंड कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट सचिव बंदना दादेल ने बताया कि राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को श्रेणी दो, बालू घाट संचालन के लिए 16 अगस्त 2022 से 3 वर्षों के लिए विस्तार किया गया है।
17 बालू घाटों का बंदोबस्ती हुआ
4 साल के अंतराल में बहुत जद्दोजहद के बाद जेएमएम डीसी ने 17 बालू घाटों का बंदोबस्ती कराया है ,जो झारखंड में बालू आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है। बंदोबस्ती हुए घाटों में चतरा मैं एक,सरायकेला खरसावां के एक, कोडरमा के दो ,दुमका के दो, देवघर के पांच, हजारीबाग के एक ,खूंटी के दो और गुमला जिला के एक बालू घाट शामिल है। इन घाटों के संचालन के लिए (एमडीओ)माइंस डेवलपर ऑपरेटर नियुक्त किए गए हैं जो वैध तरीके से बालू का उठाव करा सकते हैं।
बालू लूट मैं शामिल है छोटे से बड़े
झारखंड में बालू चोरी और कालाबाजारी में छोटे बड़े सभी शामिल हैं। कहते हैं ना चोर चोर मौसेरे भाई। ऐसा ही कुछ झारखंड में बालू चोरी और तस्करी के मामले में देखने को मिल जाएगा।झारखंड में बालू चोरी और कालाबाजारी में छोटे बड़े तबके अनेक लोग शामिल हैं। जिनमें स्थानीय ग्रामीण, रंगदार, राजनीतिक दल के नेता ,पुलिस, जिला पदाधिकारी और नक्सली भी आते हैं। जिसको जब मौका मिला अपने क्षेत्र में इस गोरखधंधे को सफल बनाने के एवज में मोटी कमाई कर रहे हैं। जो जांच का विषय है।
ट्रैक्टर के चालान पर ट्रक में लादे जाते हैं बालू
झारखंड के बालू घाटों से बालू चोरी कराने का अनोखा मामला देखने को मिलता है। ट्रैक्टर के चालान पर ट्रर्कों पर बालू लादकर चोरी किया जा रहा है। जिससे सरकार को भारी राजस्व की हानि हो रही है। ट्रैक्टर में एक सौ सीएफटी बालू का लदान होता है। जिसका रेट बहुत कम होता है। वही ट्रैक्टर के इस चालान पर ट्रक पर साढ़े छह सौ सीएफटी बालू की लदान कर चोरी होती है। यह वैध तरीके से अवैध चोरी करने का नया तरीका है । वही अवैध रूप से भी धड़ल्ले से बालू चोरी का कार्य जोरों पर है ।प्रतिदिन हजारों ट्रक और ट्रैक्टर पर बालों की अवैध लदाई होती है और ऊंचे दाम पर बेचा जाता है। जो जांच का विषय है। वही इस चोरी को अंजाम दिलाने में बालू घाट के ठेकेदार, घाट के निरीक्षण करने वाले अधिकारी, स्थानीय ग्रामीण, पुलिस और रंगदार व नेता भी शामिल है। अपनी मोटी कमाई के लिए सभी आंख बंद कर लेते हैं। जिसके कारण बालू बहुत ऊंचे दाम पर लोगों को उपलब्ध हो रहा है। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है।
दूसरे राज्यों से झारखंड में बालू की आपूर्ति हो रही है
झारखंड सरकार के लचर व्यवस्था के चलते बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं हो पाई, जिसके कारण बालू की आपूर्ति बंगाल, उड़ीसा और सीमावर्ती राज्यों से ऊंचे दामों पर हो रहा हैं । इससे बालू सप्लाईरो की चांदी हो गयी है । वे मनमानी रेट वसून रहे हैं। खुलकर बालू की कालाबाजारी कर रहे हैं। वही एक अनुमान के अनुसार लगभग सरकार को प्रतिमा माह डेढ़ से दो सौ करोड़ रुपए राजस्व की हानि हो रही है।
मजदूर बन गए है बालू चोर
कोबिट की मार और विकास की धीमी गति के कारण प्रदेश में बेरोज़गारी बढ़ गई है। इसका असर मजदूरों पर साफ दिख रहा है। वे नदियों से बालू की चोरी करने में लगे हैं। बालू चोरी को ही अपना रोजगार का जरिया बना लिए है। यह नजारा अगर देखना हो तो जमशेदपुर स्थित मेरिनड्राई से सटे खरकाई और स्वर्णरेखा नदी घाट के तटों पर देखा जा सकता है। यहां सैकडो मजदूर सीमेंट के खाली बोरों में बालू भरकर निकालते हैं । जिसे प्रति बोरा ₹50 के दर से बेच दिया जाता है। इस चोरी में स्थानीय पुलिस, नेता और दबंग को भी कमीशन दी जाती है । अमूनन लगभग प्रदेश के अनेक बालू घाटों में देखने को मिल जाएगा। इस संबंध में स्थानीय मजदूर बताते हैं कि बालू के मूल्य वृद्धि होने से भवन निर्माण के कार्य नहीं के बराबर कर रहे हैं। वहीं बहुत से सरकारी भवन और विकास कार्यों में लगभग ढप हो चुका है। जिसके कारण वे बेरोजगार हो गए हैं। इसलिए प्रतिदिन नदी घाट पर पहुंचकर बालू के बोरा भरते हैं और उसे तट से दूर लाकर ₹50 प्रति बोरा के दर से बेच देते हैं । इससे वे दिन भर में देहाडी कमा लेते हैं। बदले में स्थानीय पुलिस नेता और दबंग को भी कुछ देना पड़ता है । वे मजबूरी में चोरी कर रहे हैं। अगर उन्हें प्रतिदिन रोजगार या काम के अवसर मिले तो चोरी क्यों करेंगे ??