श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर राजनीतिक शुरू

  • झारखंड सरकार ने केंद्र के पाले में फेंका गेंद -केंद्र सरकार ने श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र  बनाए जाने के निर्णय को वापस लिया है, श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को लेकर देशभर में जैन समाज के लोग कर रहे थे आंदोलन
  • झारखंड में भी जैनियों का अग्रवाल समाज ने किया समर्थन, मरांग बुरु बचाओ के नाम पर आदिवासी सेंगल अभियान ने किया विरोध ,17 जनवरी से 5 प्रदेशों के 50 जिलों में धरना प्रदर्शन का किया ऐलान
  • श्री सम्मेद शिखर जी की पवित्रता को बचाने के लिए जैन मुनि ने दे दिया है प्राण : रिपोर्ट-मनप्रीत सिंह

रांची : झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है। इसकी तलहटी में बसे शहर मधुबनी की पहचान जैन धर्मा वलियों के कारण पूरी दुनिया में है यहां देश-विदेश से जैन धर्म को मानने वाले लोग आते हैं वह यहां पारसनाथ समेत 20 तीर्थंकरों की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं समुदाय के सदस्य पारसनाथ हिल्स में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं। श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों की जड़ हाल ही में केंद्र और झारखंड सरकार की ओर से जारी किया गया एक नोटिस है। जैन समुदाय के विरोध के बाद अब राजनीति भी शुरू हो गई है। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के पाले में गेंद फेंकते हुए केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री को पत्र लिखकर  जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के अधिसूचना पर समुचित निर्णय लेने का आगरा किया है। वही कुछ आदिवासी संगठनों ने आदिवासी वोट को अपने पक्ष में करने के लिए राजनीत शुरू कर दी है। वे जैन समुदाय का विरोध कर रहे है। उनमें से मुख्य रूप से आदिवासी सिंगल अभियान ने मरांग बुरु बचाओ के नाम पर विरोध शुरू होगा है। जिसके तहत 17 जनवरी से 5 प्रदेशों के 50 जिलों में धरना, प्रदर्शन का ऐलान किया गया है। साथ ही भारत बंद करने की धमकी दी गई है। दूसरी ओर कुछ लोगों ने आदिवासी संस्कृति हनन के रूप में जैन समाज के आंदोलन को बता कर अपनी राजनीति भूमि तलाशने में लग गए हैं। लगातार बढ़ते आंदोलन से  सतर्क केंद्र सरकार में सारे विवाद का पटाक्षेप करते हुए श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र से बाहर कर दिया है। इससे कुछ लोगों की राजनीति के आड़ में अपनी भूमि तलाशने का प्रयास विफल हो गया है। वहीं संभावना व्यक्त की जा रही है अपनी भूमि खिसकता देख , वे लोग बेवजह मामले को तूल देने से बाज नहीं आएंगे। जिसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार को सतर्क रहने की आवश्यकता है। अन्यथा झारखंड में विधि व्यवस्था की समस्या हो सकती है।

 जैन समाज के लोगों ने सरकारों की ओर से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है। पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर जैन समाज के लोग सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

*देह त्याग करने वाले दिगंबर जैन मुनि सुज्ञेय सागर*

 इस दौरान गुजरात के सूरत में श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता के लिए जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने 9 दिन के आमरण अनशन के दौरान अपने प्राण त्याग दिए। इससे जैनियों में आक्रोश भड़क गया है। जैनियों का आंदोलन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है जिसको लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है।

अग्रवाल सम्मेलन ने जैनियों का किया समर्थन

झारखंड के अग्रवाल सम्मेलन ने जैनियों का समर्थन किया है। इस संबंध में पूर्वी सिंहभूम जिला अग्रवाल सम्मेलन के बैनर तले  प्रेस रिलीज जारी कर सरकार से मांग की गई कि श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थान घोषित करने का निर्णय वापस लिया जाए । यह स्थान जेएनयू के साथ जनजातियों का भी आस्था का क्षेत्र है इसलिए तपोभूमि की पवित्रता बनाए रखी जाए। प्रेस विज्ञप्ति में जिला के अध्यक्ष संदीप मुरारका, प्रवक्ता कमल किशोर अग्रवाल, महासचिव अभिषेक अग्रवाल और प्रदेश सचिव महेश माऊका, कोषाध्यक्ष गौरव अग्रवाल सहित अनेक लोगों ने ने हस्ताक्षर कर उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार को अपना अनुरोध पत्र भेजा है।

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू

जैनियों के विरुद्ध आदिवासी सिंगल अभियान ने मोर्चा खोला

गिरिडीह ज़िले में अवस्थित पारसनाथ पहाड़ अर्थात “मरांग बुरु” बचाओ आंदोलन की शुरुआत 17 जनवरी 2023 से किया जाएगा। 5 प्रदेशों के 50 ज़िलों में धरना प्रदर्शन के अलावा जल्द ही भारत बंद की घोषणा होगी। यह जानकारी  प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राजनीति भूमि तलाश रहे आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने दी है।

उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ संताल आदिवासियों का सर्वाधिक बड़ा पूजा स्थल है, तीर्थ स्थल है और इसको मरांग बुरु या ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। इसको जैन धर्मावलंबियों ने अनाधिकृत रूप से हथिया लिया है, कब्जा कर लिया है। अब इस पर नया विवाद शुरू हो गया है। भारत सरकार और झारखंड सरकार को मिल बैठकर अविलंब संताल आदिवासियों के सर्वाधिक बड़े तीर्थ स्थल को उन्हें पुनरबहाल करना जरूरी है। अन्यथा यह भारत के आदिवासियों के ऊपर धार्मिक हमला और अन्याय का मामला बनता है। आदिवासी सेंगेल अभियान अपनी जायज मांग के लिए 17 जनवरी 2023 को भारत के 5 प्रदेशों के लगभग 50 जिलों में धरना प्रदर्शन के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को जिले के डीएम, डीसी के मार्फत ज्ञापन प्रदान करेगा। मरांग बुरू बचाओ आंदोलन की शुरुआत करेगा। उसके बाद जल्द ही भारत बंद या अन्य प्रभावी आंदोलन की घोषणा करेगा। आदिवासी समाज के सभी सरना धर्मावलंबियों तथा संगठनों से इसमें सहयोग करने की अपील करता है। वहीं अन्य आदिवासी समुदाय के कुछ नेताओं ने जहर उगलना शुरू कर दिया है वे जैनियों को अपने धार्मिक स्थल पर कब्जा करने का आरोप लगा रहे हैं।

*झारखंडकेमुख्यमंत्रीहेमन्तसोरेन*

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री को लिखा पत्र

जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के अधिसूचना पर समुचित निर्णय लेने का किया आग्रह

झारखंड के मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव को पत्र लिख जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया है।

*पारसनाथजैनसमुदायकापवित्रएवंपूजनीयतीर्थस्थल*

मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है। इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं। अतएव झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है। पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है। 

*क्षेत्र के विकास और सुचिता पर सरकार का ध्यान*

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है, जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है। उक्त प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा उक्त स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है तथा जारी किये गये निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है।

*केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर हो विचार*

मुख्यमंत्री ने आग्रह पूर्वक कहा है कि वर्तमान में कई जैन अनुयायियों द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है, जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति होने का उल्लेख प्राप्त आवेदनों में दर्ज है। राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है एवं उक्त स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है। अतः उक्त अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) व कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। अतः अनुरोध है कि जैन अनुयायियों से प्राप्त अनुरोध के आलोक में उनके धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने की कृपा की जाए।

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