झारखंड: मरांग बुरू बचाओ यात्रा के बहाने अपनी राजनीति धरातल खोज रहे पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू और उनकी पत्नी सुमित्रा मुर्म ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। पारसनाथ मरांग बुरू बचाओ यात्रा के क्रम में रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड और मांडू प्रखंड में कार्यक्रमों का आयोजन किए। उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का फैसला अमान्य है। मरांग बुरू पर पहला अधिकार केवल और केवल आदिवासी समाज का है। इसलिए मरांग बुरु को बचाने के लिए आदिवासी समाज को करो या मरो की तर्ज पर अपने अस्तित्व रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखना होगा। मौके पर उलेश्वरी हेंब्रोम, करमचंद हांसदा, विजय टूडू, आनंद टूडू, चंद्रमोहन मारडी, मुंशी टूडू, भुनेश्वर हेंब्रोम, अमित रंजन हसदा, मुनिनाथ टुड्डू, राजपाल टूडू, सोनाराम टूडू, सुरेश चंद्र टुडू आदि मौजूद थे।
सरूबेड़ा में सरना प्रार्थना सभा
मांडू प्रखंड जाने के रास्ते में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के सप्ताहिक प्रार्थना स्थल सरूबेड़ा में शामिल आदिवासियों के साथ मुलाकात की और प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज मुंडा से भी मुलाकात की और बातचीत की। उसके बाद परेज ( घाटो) में आदिवासी संताल समाज के अनेक प्रतिनिधियों से बातचीत की। महसूस किया गया कि संथाल समाज में व्याप्त आदिवासी स्वशासन पद्धति में जबतक जनतांत्रिक और संवैधानिक प्रवधानों को शामिल नहीं किया जाएगा तब तक आदिवासी समाज से नशापन, अंधविश्वास, डायन प्रथा,ईर्ष्या द्वेष, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, ईर्ष्या द्वेष, भोट को हडीया-दारु चखना रूपयों में खरीद बिक्री और अपने संवैधानिक हकों के लिए एकजुट होकर लड़ने की एकजुटता कायम नहीं की जा सकती है। गौरतलब हो कि आदिवासी और जैन समाज के बीच की लड़ाई को पाटने के जगह और हवा देने का काम सालखन मूर्मू करेंगे । यह बात सत्य होता दिखाई दे रहा है। वे मरंगबुरू यात्रा के नाम पर अपनी राजनीतिक धरातल खोज रहे हैं। इससे पूर्व भी इस तरह की कई प्रयास कर चुके हैं।वे आदिवासियों के मुखिया बनने का प्रयास करते रहे हैं। लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। इस बार वे नए हथकंडे के साथ यात्रा पर निकल पड़े हैं। इसी तरह का देश में अनेक नेता यात्रा कर रहे हैं और अपनी राजनीति धरातल खोज रहे हैं । उन्ही नेताओं में सलमान खान मुर्मु भी शामिल हो गए हैं।