यमुनानगर : गन्ने के दाम बढ़ाने की मांग को लेकर सरस्वती शुगर मिल में किसानों का धरना जारी है। कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं। रविवार को धरना स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने जन प्रतिनिधियों को आड़े हाथों लिया। यहां तक कह गए कि यदि सरकार इनकी नहीं सुन रही है तो इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि किसान अपनी जायज मांगों को लेकर ही धरने पर बैठे हुए हैं। उधर, 25 जनवरी को सीएम मनोहर लाल के दौरे के विरोध को लेकर भी किसान रणनीति बना रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि गणतंत्र की मर्यादा को देखते हुए 26 जनवरी को विरोध नहीं करेंगे। लेकिन उनके मुताबिक 25 जनवरी को सीएम आदिबद्री दौरा करने पहुंचेंगे। इस दौरान किसान अपनी मांग उनके समक्ष रखेंगे। उधर, 23 जनवरी को कुरुक्षेत्र की सैनी धर्मशाला में किसानों की महापंचायत होगी। इसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी।
मंत्री-विधायकों को नहीं सुध
भारतीय किसान संघ मुख्य संरक्षक रतन सिंह देवधर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को किसानों के हितों की परवाह नहीं है। यदि कोई नेता धरने पर पहुंच भी रहा है तो उसका अपना स्वार्थ है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मंत्री व विधायक जिले से हैं। न मंत्री-विधायक व और न ही उनका कोई नुमाइंदा किसानों की सुध लेने पहुंचा। किसानों को दुख दर्द जानने की जहमत नहीं उठाई जबकि चुनाव के दौरान किसानों की याद सभी को आ जाती है। जन प्रतिनिधि कहते हैं कि सरकार उनकी नहीं सुनती। 10-20 मंत्री या विधायक मिलकर इस्तिफा दें। फिर देखते हैं आखिर सरकार इनकी सुनवाई क्यों नहीं करती। यदि इनकी सुनवाई नहीं होती तो अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। हकीकत यह है कि सीएम के समक्ष इनका बोल ही नहीं निकलता।
वेतन भत्ते हो गए कई गुणा
भारतीय किसान संघ के प्रदेश महांत्री रामबीर सिंह चौहान, भाकियू के जिलाध्यक्ष संजु गुंदियाना व अन्य किसान नेताओं ने कहा कि वर्ष-2014 से अब तक की बात की जाए तो मंत्री व विधायकों के वेतन व भत्ते कई गुणा अधिक बढ़े हैं। जब इनकी वेतन व भत्तों में बढ़ोतरी होती है तो दोनों हाथों से मेज थपथपाते हैं। उन्होंने कहा किसान आंकड़े जुटाकर रखें। उनको जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखें। एकजुट होकर अपनी अावाज बुलंद करें। यदि किसान एकजुट रहेगा तो अपनी बात मनवाने में दिक्कत नहीं आएगी। नेताओं के बहकावे में न आकर मजबूती से अपनी बात रखें। उनका कहना है कि जब सरकार गन्ने का रेट नहीं बढ़ाती, तब तक किसान धरने पर डटे रहेंगे। जिलाध्यक्ष संजु गुंदियाना का कहना है कि शुगर मिल के बंद होने का अफसोस उनकाे भी है। क्योंकि मिल को चलवाने के लिए भी वह धरने देते आ रहे हैं। लेकिन सरकार की हठधर्मिता ने उनको मिल बंद करवाने के लिए मजबूर किया है।