लड़खड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से भारतीय निर्यात प्रभावित

अर्थव्यवस्था और निर्यात के हिसाब से पिछला साल काफी खराब रहा। लेकिन हालात अभी भी नहीं सुधरे हैं। अगर बात साल 2022 की करें, तो पता चलता है कि माल के निर्यात के लिए दिसंबर, 2022 में पिछले दो साल में भारत ने सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की थी। साल 2022 में भारत द्वारा सिर्फ 34.5 बिलियन डॉलर के उत्पाद भेजे गए थे, जो 2021 की तुलना में 12.2 फीसदी कम थी। तीन महीने में यह गिरावट दूसरी बार थी। लेकिन निर्यात में साल-दर-साल आ रही कमी को वाणिज्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने वैश्विक विपरीत परिस्थितियों का हवाला दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लड़खड़ाने से भारतीय माल के निर्यात में चुनौतियां पैदा हो रही हैं। इनमें यूरोप और अमेरिका में छाए मंदी के बादल, चीन में कोरोना की स्थिति और कुछ बाजारों में संरक्षणवाद की ओर माल की वापसी शामिल हैं। माल निर्यात के आंकड़े इसलिए भी कम दिखाए गए हैं, क्योंकि उच्च स्तरीय प्रभाव ने साल-दर-साल निर्यात गिरावट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने में भूमिका निभाई है। हालांकि मंदी को लेकर चल रहे इस उथल-पुथल भरे समय के बीच निर्यात के रुझानों का महीने-दर-महीने अध्ययन होना चाहिए, जो स्थिति का आकलन करने का शायद एक बेहतर तरीका है।
अभी के लिए दिसंबर में निर्यात भले ही प्री-हॉलिडे फेस्टिवल चलने के कारण शिपमेंट के अंतिम बैचों द्वारा अपने नियत तटों तक पहुंचने के बाद भी बढ़ा हो, लेकिन इस मोर्चे पर अक्टूबर और नवंबर के शुरुआती व्यापार अनुमानों को भी जोड़ा जाना चाहिए, जो कि अच्छे आंकड़े हैं। हालांकि अभी भी उम्मीद की किरण है, क्योंकि दिसंबर में आयात भी 3.5 फीसदी कम हुआ था। ऐसा नवंबर 2020 के बाद पहली बार हुआ था। हालांकि क्रमिक रूप से आयात लगभग 58.2 बिलियन डॉलर पर स्थिर रहा। वित्त वर्ष 2022-23 के पहले नौ महीनों के लिए भारत का माल निर्यात एक साल पहले की तुलना में 9.1 फीसदी अधिक है। यह नवंबर 2022 तक दर्ज किए गए निर्यात की अपेक्षा 11.1 फीसदी वृद्धि से थोड़ा ही कम है। वर्तमान तिमाही में निर्यात इतना अधिक है कि इसी तरह चलता रहा, तो पूरे साल में निर्यात में कमी की भरपाई हो सकती है। इसकी वजह यह है कि चीन के बाजारों के फिर से खुलने के साथ मांग कम होने के बावजूद प्रतिस्पर्धा में तेजी आने की उम्मीद है।
हाल में निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने कुछ कदम भी उठाए हैं। जैसे कि निर्यात के लिए एक शुल्क छूट योजना में गड़बड़ियों को ठीक करना और लौह अयस्क के शिपमेंट पर अंकुश लगाना, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है। लेकिन अभी निर्यात बढ़ाने के लिए अधिक मैक्रो और तेज सूक्ष्म-नीति की आवश्यकता है।

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