दिल्ली : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नई गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, 2022 में सोने की सालाना मांग (ओटीसी को छोड़कर) साल-दर-साल आधार पर 18 फीसदी बढ़कर 4,741 टन के स्तर पर पहुंच गई जो 2011 के बाद सर्वोच्च सालाना आंकड़ा है। चौथी तिमाही में रिकॉर्ड तेज़ी के कारण सोने की मांग में बढ़ोतरी हुई है। इसकी मुख्य वजह केंद्रीय बैंकों द्वारा की गई जबरदस्त खरीदारी और खुदरा निवेश में मज़बूती रही।
केंद्रीय बैंकों की सालाना मांग 2022 में दोगुने से ज़्यादा बढ़कर 1,136 टन रही जो एक वर्ष पहले 450 टन के स्तर पर थी और यह बढ़कर 55 वर्षों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। वर्ष 2022 की सिर्फ चौथी तिमाही में हुई खरीदारी 417 टन के स्तर पर रही जिससे 2022 की दूसरी छमाही में हुई खरीदारी 800 टन से ज़्यादा रही।
वर्ष 2022 में निवेश की मांग पिछले वर्ष के मुकाबले 10 फीसदी ज़्यादा रही। इस बढ़ोतरी की मुख्य रूप से दो वजहें रहीं: ईटीएफ निकासी में सुस्त निकासी और सोने के बार व सिक्कों की मज़बूत मांग।
पूरी दुनिया के कई देशों के निवेशकों के बीच सोने के बार और सिक्कों की मांग में तेज़ी जारी रही जिससे चीन के बाज़ारों में आई कमज़ोरी से निपटने में मदद मिली। 2022 के दौरान यूरोप में सोने के बार और सिक्कों का निवेश 300 टन का स्तर पार कर गया जिसकी मुख्य वजह जर्मनी में मांग में आई जबरदस्त तेज़ी रही। पश्चिमी एशिया में भी जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली, जहां सालाना मांग साल-दर-साल आधार पर 42 फीसदी बढ़ी।
वर्ष 2022 में ज्वेलरी की मांग में थोड़ी नरमी देखने को मिली जो 3 फीसदी गिरावट के साथ 2,086 टन रही। इस कमज़ोरी की मुख्य वजह चीन में ज्वेलरी की सालाना मांग में आई कमी रही। यह कमी 15 फीसदी रही क्योंकि साल भर ज़्यादातर समय कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण ग्राहकों की गतिविधियां सीमित रहीं। चौथी तिमाही के दौरान सोने की कीमतों में आई तेज़ी की वजह से भी ज्वेलरी की मांग में सालाना गिरावट देखने को मिली।
वर्ष 2022 में कुल सालाना आपूर्ति में क्रमिक सुधार जारी रहा और यह साल-दर-साल आधार पर 2 फीसदी बढ़कर 4,755 टन के स्तर पर पहुंच गया और महामारी से पहले के स्तर से ऊपर रहा। इसके अलावा, खान उत्पादन बढ़कर 3,621 टन हो गया जो चार वर्षों का उच्च स्तर है।
लुई स्ट्रीट, सीनियर मार्केट एनालिस्ट, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा, “पिछले वर्ष पूरे दशक के दौरान सोने की सालाना मांग सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई और इसकी मुख्य वजह निवेश के सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने में निवेश करने के लिए केंद्रीय बैंकों की बढ़ती मांग रही। सोने की मांग बढ़ाने वाली अलग-अलग वजहें संतुलन के कारण बने क्योंकि ब्याज की बढ़ती दरों से ईटीएफ निकासी को बल मिला जबकि बढ़ती महंगाई ने सोने के बार और सिक्कों का निवेश बढ़ा। आखिर में कुल निवेश मांग पिछले वर्ष के मुकाबले 10 फीसदी बढ़ी।”
उन्होंने कहा, “अगर बात 2023 की हो, तो आर्थिक अनुमान चुनौतीपूर्ण माहौल की ओर इशारा करते हैं और वैश्विक मंदी के भी संकेत मिल रहे हैं जिससे सोने के निवेश के रुझानों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अगर महंगाई दर नीचे आती है तो इससे सोने के बार और सिक्कों के निवेश में तेज़ी आ सकती है। इससे उलट, डॉलर में आई कमज़ोरी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की सुस्त रफ्तार का सोना आधारित ईटीएफ मांग पर सकारात्मक असर हो सकता है। हमें उम्मीद है कि ज्वेलरी की खपत मज़बूत बनी रहेगी, चीन में लॉकडाउन खत्म होने से मांग में तेज़ी आएगी, लेकिन अगर मंदी का असर बढ़ा तो ग्राहकों के खर्च में कमी आने से सोने की मांग पर इसका असर हो सकता है। हालांकि, इसके कई संभावित परिणाम हो सकते हैं लेकिन सोने ने हमेशा ही बुरे आर्थिक दौर में अच्छा प्रदर्शन किया है जिससे लंबी अवधि में इसके मूल्य और रणनीतिक असेट होने का पता चलता है।”