भगोड़ा मेहुल चौकसी का रुपया रांची के एसबीएल इंडस्ट्रीज में-दलाली करने वाले झारखंड के पूर्व मंत्री की बढ़ सकती है परेशानी

*भगोड़ा मेहुल चौकसी का रुपया रांची के एसबीएल इंडस्ट्रीज में लगने का हुआ खुलासा

*यूपीए सरकार में एक कद्दावर मंत्री ने की मध्यस्थता

* दलाली करने वाले झारखंड के मंत्री की बढ़ शक्ति है परेशानी

*खुलासे से झारखंड की राजनीतिक फिजा बदलने का है अंदेशा

मनप्रीत सिंह/ ब्युरो चीफ़-ईस्ट

झारखंड: देश के भगोड़े माहुल चोकसी का झारखंड की राजधानी रांची स्थित एसबीएल कंपनी में रुपया लगाने जान का सनसनीखेज खुलासा हुआ है । रुपया यूपीए के समय केंद्रीय मंत्री रहे रांची निवासी एक दबंग राजनेता द्वारा लगवाई गई थी। बदले में उस मंत्री को दलाली में मोटी रकम मिली थी। इस खुलासे के बाद यूपीए के समय रहे केंद्रीय मंत्री की परेशानी बढ़ने की संभावना है । साथ ही झारखंड की राजनीति में भूचाल आना तय माना जा रहा है। मामला
2012 में गीतांजलि इंफ्राटेक के माध्यम से रुपया लगाया गया था। तब एसबीएल इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण किया हुआ। पीयरलेस के कर्ताधर्ता पीसी सेन ने दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे लिक्विडेशन में कहीं है ।


हीरे के बिजनेस टाइकून से सबसे बड़े जालसाज बनने मेहुल चोकसी का रांची के एक बंद पड़ी इकाई श्रीराम बियरिंग्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एसबीएल) में 12 करोड़ रुपये आइसीआइसीआइ बैंक के खाते से ट्रांसफर किया गया था। मेहुल चौकसी से यह रुपया कोलकाता की कंपनी रही द पीयरलेस लिमिटेड के कर्ता-धर्ता पीसी सेन और उनकी पत्नी कृष्णा सेन ने लिया था। इसको लेकर केंद्र की यूपीए सरकार में एक कद्दावर मंत्री ने मध्यस्था की थी।वे रांची के रहने वाले हैं। गीतांजलि इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रमोटर और निदेशक मेहुल चौकसी 30 अक्तूबर 2012 से लेकर 31 दिसंबर 2012 तक यह राशि स्टेट बैंक के व्यावसायिक शाखा कोलकाता में रुपए ट्रांसफर किये थे। गीतांजलि इंफ्राटेक की तरफ से 30 अक्तूबर 2012 को पांच करोड़ रुपये, 31 अक्तूबर 2012 को 2.80 करोड़ और इसी दिन 1.10 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये थे। पीसी सेन ने स्ट्रैटेजिक पार्टनर के रूप में यह पैसा लिया था। इस संबंध में कोलकाता के स्टेट बैंक की व्यावसायिक शाखा को खुद पीसी सेन ने एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड रांची के मेजर शेयर होल्डर और एक्स चेयरमैन के रूप में पत्र लिख कर गीतांजलि इंफ्राटेक की ओर से दिये गये पैसे के बाबत नो ड्यूज, नो क्लेम, नो चार्ज लेटर जारी करने का आग्रह 31 अक्तूबर 2012 को किया था। ज्ञात हो कि श्रीराम बियरिंग्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक दशक से अधिक समय से बंद पड़ी है। राजधानी रांची के रातू के पास 45 एकड़ से अधिक भूमि पर यह कंपनी स्थित है, जहां से बियरिंग्स का उत्पादन होता था। इस कंपनी के दिवालिया होने के बाद भी अब तक 503 कर्मियों के बकाये ग्रैच्यूटी, वेतन, भविष्यनिधि का भुगतान कंपनी प्रबंधन ने नहीं किया है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर लिक्विडेशन में मामला चला गया है। दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से आधिकारिक लिक्विडेटर भी नियुक्त किया गया था। पर इन लिक्विडेटरों ने किसी तरह का कोई सेटलमेंट अब तक कर्मियों के साथ नहीं किया है। दिल्ली हाईकोर्ट में सीओ-पीइटी-321 ऑफ 2001 के तहत जस्टिस जयंत नाथ की अदालत में मामला विचाराधीन है।

झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता नित्यानंद महतो ने ऑफिसियल लिक्विडेटर की हैसियत से पीसी सेन, स्टेट बैंक के व्यावसायिक शाखा के शाखा प्रबंधक और अन्य को लीगल नोटिस भेज कर कर्मियों के बकाये का भुगतान करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि रुपया बैंक खाते में रहते हुए भी कर्मियों का भुगतान कंपनी नहीं कर रही है। उन्होंने इसको लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियों से धोखाधड़ी की जांच शुरू करने की मांग की है।

कौन है ? मेहुल चौकसी

मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने मिल कर पंजाब नेशनल बैंक में 13 हजार 500 करोड़ का घोटाला किया है। दोनों अभी फरार हैं। भारत सरकार की ओर से उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। मेहुल चौकसी ने गीतांजलि जेम्स के तहत कारोबार शुरू किया था। अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहुल चोकसी ने तेजी से डायमंड जेम्स की ज्वेलरी का बिजनेस अलग-अलग ब्रांड के नाम से शुरू किया। 1990 से 2000 के बीच मेहुल चोकसी का ये कारोबार सॉलिटेयर हीरे की तरह चमचमाने लगा। 2005 आते-आते मेहुल चोकसी का ये कारोबार पूरी दुनिया के 4000 अलग-अलग हिस्सों में फैल गया। 2006 में गीताजंलि ने सैम्युल ज्वैलर्स, यूएस की एक कंपनी से करार कर लिया और अमेरिका के 111 बड़े स्टोर्स में अपनी जगह बना ली। इस कारोबार में नीरव मोदी पहले से ही शामिल था और मुम्बई में उसका अच्छा दबदबा था।
इसके बाद मेहुल चोकसी ने नीरव मोदी के साथ पार्टनरशिप कर स्टेलर डायमंड, डायमंड आर और सोलर एक्सपोर्टर्स कंपनी में पार्टनशिप कर ली। मेहुल चोकसी कम वक्त में ज्यादा पैसा कमाना चाहता था इसके लिए उसने डायमंड के इस बिजनेस में हीरे की गुणवत्ता के साथ समझौता शुरू कर दिया और अलग-अलग बैंक खातों में लाखों रुपये का अवैध ट्रांजेक्शन किया जाने लगा। एजेंसियो की जांच में ये भी पता लगा कि वह डायमंड और डायमंड ज्वेलरी 70 से 80 फीसदी के प्रॉफिट पर बेचता था लेकिन 2016-2017 में मेहुल चोकसी की कंपनी गीताजंलि ग्रुप को नुकसान होना शुरू हो गया।
इसके बाद मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक, मुम्बई से साजिश के तहत बड़ा घोटाला किया। मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने करीब 13,500 करोड़ रुपए पंजाब नेशनल बैंक से फ्रॉड करके हासिल कर लिए। इसके अलावा मेहुल चोकसी ने कई और बैंकों से भी करोड़ों रुपयों का फ्रॉड किया। इसके बाद मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ और बरबूडा देश की नागरिकता हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी और 2018 में मेहुल चोकसी सबसे पहले अमेरिका भाग गया। इस बीच सीबीआई ने 29 जनवरी 2018 को मेहुल चौकसिंऔर नीरव मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी। 2018 में ही मुम्बई की अदालत ने मेहुल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। भारतीय एजेंसियो ने इस दौरान अमेरिका के अथॉरिटी से मेहुल चोकसी के प्रत्यपर्ण की कोशिशें भी कीं, लेकिन इससे पहले कि भारतीय एजेंसियां कामयाब हो पातीं, मेहुल चोकसी मई 2018 में एंटीगुआ पहुंच गया और वहां की नागरिकता हासिल कर ली। इसके बाद भारतीय एजेंसियो ने मेहुल चोकसी के प्रत्यपर्ण के लिए एंटीगुआ की कोर्ट में भी कोशिशें शुरू की थी।

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