झारखंड के धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का शिलान्यास एवं घोषणा सफेद हाथी साबित हुआ

झारखंड : केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार की इच्छा शक्ति कमजोर होने के कारण प्रस्तावित पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का काम रोक दिया गया है,

तत्कालीन रघुवर सरकार एवं जनप्रतिनिधि के द्वारा शिलान्यास एवं घोषणा के समय सरकार भली-भांति जानती थी कि यह क्षेत्र एलिफेंट कॉरिडोर है, फिर भी शिलान्यास कर जनता की आंखों में धूल झोंकना एवं कॉरपोरेट घराना जनप्रतिनिधि एवं तत्कालीन सरकार का यह प्रोजेक्ट षड्यंत्र का शिकार हुआ।*

फिलहाल वन विभाग ने आपत्ति दर्ज की है। जमशेदपुर से हवाई सफर करने वाले यात्रियों के लिए यह बहुत बड़ी नाइंसाफी है। जमशेदपुर कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने एक बयान जारी कर उक्त बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि अभी जमशेदपुर से हवाई सफर करने वाले यात्रियों को रांची या कोलकाता जाना पड़ता है, वहां से ही आवागमन कर सकते हैं। वैसे सोनारी एयरपोर्ट से कई बार छोटे विमान की उड़ान शुरु होती है और जल्द ही बंद भी हो जाती है। सोनारी एयरपोर्ट टाटा स्टील का है और वहां बड़े विमान उतरने की सुविधा नहीं है। जमशेदपुर से सटे धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट अंग्रेजों के जमाने से था जिसको विकसित कर बड़े विमानो की उड़ान संभव थी परंतु वन विभाग ने उस क्षेत्र को एलीफेंट कॉरिडोर बताते हुए एयरपोर्ट के काम को रोकने के लिए बोल दिया। अब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है इस समस्या का समाधान कैसे हो। सड़क बनाना हो या एयरपोर्ट बनाना हो हर जगह वन विभाग आपत्ति करती है जबकि वन विभाग के हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हो गया है। वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से वन संपदा की लूट हो रही है। अब वन विभाग ने एलीफेंट कॉरिडोर के नाम पर धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का काम रुकवा दिया है। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसी काम को समय पर नहीं कर पाती इस कारण से जनता में आक्रोश है। केंद्रीय उड्डयन मंत्री को इस दिशा में पहल करनी चाहिए और वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर समस्या का समाधान करना चाहिए ताकि जमशेदपुर से हवाई सफर करने वाले यात्रियों को सुविधा एवं राहत मिल सके। झारखंड की अधिकांशत भूमि वन भूमि है तो क्या झारखंड में विकास संभव नहीं?

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