बिहार: प्रदेश में एक मार्च से जमीन रजिस्ट्री का नया नियम लागू हो गया है।नई व्यवस्था को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य के पांच अंचलों में लागू किया है। ये आदेश राज्य के 543 अंचलों में एक साथ लागू किया गया है।
अब जमीन की दाखिल- खारिज के वादों के तेजी से निबटारे को लेकर राज्य में फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (फीफो) और ऑड इवन नियम के साथ नयी व्यवस्था प्रभावी हो गयी है। अंचल में म्यूटेशन के लिए जिस क्रम से आवेदन आयेंगे, उसी क्रम से उनका निबटारा भी किया जायेगा। म्यूटेशन में समय अधिक नहीं लगे, इसके लिए अंचलाधिकारी विषय संख्या (ऑड नंबर) वाले हल्का और राजस्व पदाधिकारी सम संख्या (इवन नंबर) वाले हल्का के दाखिल- खारिज वादों को निबटाएंगे।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सॉफ्टवेयर को अपडेट कर नई व्यवस्था को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य के पांच अंचलों में लागू किया है। पटना जिले के फतुआ, भागलपुर के सबौर, समस्तीपुर के कल्याणपुर, किशनगंज के ठाकुरगंज और सीवान जिले के सीवान सदर अंचल में पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद सभी अंचलों में इसे लागू कर दिया जायेगा।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग सभी हल्का की संख्या पूर्व में निर्धारित कर चुका है कि दाखिल- खारिज के मामले लंबित न रहे। सीओ को दाखिल- खारिज के अतिरिक्त भी काम लिये जाते हैं, इस कारण सीओ का कार्यभार कम किया जाये।
म्यूटेशन के आवेदन पहले की तरह सीओ के यहां दिये जायेंगे। सीओ राजस्व कर्मचारी को जांच के लिए देगा। राजस्व कर्मी जांच कर अपने मंतव्य के साथ वाद को राजस्व पदाधिकारी के यहां अग्रसारित करेंगे।
वाद यदि विषय संख्या (ऑड नंबर) वाले हल्का का है, तो राजस्व पदाधिकारी राजस्वकर्मी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन पर अपना मंतव्य देकर वाद को सीओ के यहां निर्णय के लिए अग्रसारित करेंगे।
सीओ के लॉगिन में वाद दिखने लगेगा। विषम संख्या वाले हल्का का वाद होने पर राजस्व कर्मचारी खुद को अग्रसारित करेंगे। सीओ के रूप में मिली शक्ति का उपयोग करते हुए उसका निस्तारण करेंगे। इस नई व्यवस्था में राजस्व पदाधिकारी को अग्रसारित और निस्तारित दो लेयर की जिम्मेदारी निभानी होगी।
जहां एक ही अधिकारी वहां दोनों जिम्मेदारी निभानी होंगी। भूमि दाखिल- खारिज के लिये सक्षम प्राधिकारी सीओ होंगे। इन हल्का का आम सूचना, खास सूचना, सुनवाई दाखिल- खारिज आदेश, शुद्धि पत्र आदि सभी कार्रवाई सीओ के स्तर से की जायेगी। सम संख्या वाले हल्का में यह जिम्मेदारी राजस्व पदाधिकारी निभायेंगे
जहां केवल सीओ हैं, वहां दोनों जिम्मेदारी सीओ तथा जहां राजस्व पदाधिकारी हैं, वहां राजस्व पदाधिकारी सभी काम देखेंगे। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने बताया कि नयी व्यवस्था से मामलों का तेजी से गुणवत्ता के साथ निस्तारण होगा। समय की बचत होगी। केस लंबित नहीं होंगे। पारदर्शिता बढ़ेगी।
हर महीने बीस फीसदी मामले लंबित रह जा रहे थे। उच्च स्तर पर समीक्षा में यह भी पाया गया कि अंचल के पदाधिकारी पहले प्राप्त हुए वाद का निस्तारण बाद में कर रहे थे। इस समस्या को दूर करने के लिये राजस्व पदाधिकारी को अंचलाधिकारी की शक्ति प्रदान की गयी है। साथ ही साफ्टवेयर अपडेट किया गया।