नौकरी के बदले जमीन घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मंगलवार को दिल्ली के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के सामने पेश हुए।
ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए के तहत आपराधिक धारा में एक नया केस दर्ज किया है। इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय तेजस्वी यादव से पूछताछ करेगी।
इस मामले में सीबीआई ने तेजस्वी यादव से पिछले महीने की 26 तारीख को 8 घंटे तक पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि हमने सहयोग किया है किंतु सच्चाई यह है कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं है।
जांच एजेंसी का आरोप है कि तेजस्वी यादव का एनएफसी में जो घर है वो इसी घोटाले की आय का हिस्सा है। यह घर एबी एक्सपोर्ट नाम की कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है। यह कंपनी यादव परिवार की है ये घर महज 4 लाख रुपये में खरीदा गया जबकि इस घर की मौजूदा मार्केट वैल्यू 150 करोड़ हैं।
आरोप है कि घोटाले का जो पैसा कैश में था उसका इस्तेमाल इस प्रॉपर्टी और दूसरी संपत्तियों को बेचने और खरीदने में किया गया। मुंबई के कुछ गहने के कारोबारी भी इस डील में शामिल थे। इसके अलावा एनएफसी के घर से दो कंपनियों एबी एक्सपोर्ट्स और एके इंफोसिस्टम्स के दफ्तर चलाए जा रहे थे। ईडी ने दावा किया है कि इसकी जांच में पाया गया कि अपराध की आय लगभग 600 करोड़ रुपये है जिसमें 350 करोड़ रुपये अचल संपत्तियों और 250 करोड़ रुपये के लेनदेन के रूप में है जो कर्इ बेनामीदारों के माध्यम से किया गया था।
इस मामले में सीबीआई राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से भी पूछताछ कर चुकी है और उनके परिवार के परिसरों में छापेमारी भी की थी।
लालू प्रसाद यादव कांग्रेस नीत केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। उनपर आरोप है कि वर्ष 2004-09 की अवधि के बीच भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में व्यक्तियों ने लालू यादव के परिवार के सदस्यों को और इस मामले में लाभार्थी कंपनी एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को अपनी जमीन दी थी।