सुनील कुमार
सीमा विवाद देशों के बीच ही नहीं होता, वरन राज्यों के बीच भी होता है। मगर अति शीघ्र उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के बीच चल रहा अंतरराज्यीय सीमा विवाद सुलझ सकता है। इसके लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पहल करते हुए दोनों पड़ोसी राज्यों को निर्देश दिया है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीमावर्ती विवादित स्थलों पर सीमा स्तंभों के निर्माण की समय सीमा निर्धारित कर दी है। माननीय न्यायालय ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया है कि वो इसी मई महीने के अंत तक सीमा स्तंभ निर्मित करें एवं सीमा स्तंभो के निर्माण पर आने वाले 4.46 करोड़ रुपए के व्यय को दोनों ही राज्य समान रूप से वहन करें।
विदित हो कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ में देश के पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ भू-स्थानिक डाटा सेंटर (पीएचसीजीडीसी) के सर्वेक्षण विभाग को निर्देश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवाद के संबंध में राजस्व अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के अभ्यास के उपरांत की विस्तृत योजना तैयार करना सुनिश्चित करे, जिससे दोनों राज्यों के बीच विवादित स्थलों पर सीमा स्तंभ बनाकर विवाद का निपटान किया जा सके।
उपरोक्त निर्देश न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर एवं न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने किया। दोनों न्यायमूर्तियों ने पीएचसीजीडीसी को दौरे के लिए विशेषज्ञ अधिकारियों का दल तैनात करने का निर्देश भी दिया। इस दल के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी निर्देश दिया गया है कि वे पीएचसीजीडीसी द्वारा निर्धारित तिथि पर संबंधित स्थलों पर जिम्मेदार राजस्व अधिकारियों का एक दल भेजें, ताकि बाद में कोई सीमा विवाद न रहे। न्यायमूर्तियों ने यह भी निर्देश दिया है कि दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशक विवादित सीमा स्थलों पर सीमा स्तंभ लगाने के दौरान पुलिस बलों को तैनात करें, ताकि कानून व्यवस्था बनी रह सके।
अधिवक्ता मुजफ्फर रईस कहते हैं कि सीमा विवाद घर, जनपद, राज्य से लेकर देश तक किसी भी तरह का हो, उसका निपटान तो होना ही चाहिए। क्योंकि सीमा विवाद से केवल झगड़े ही नहीं बने रहते, वरन विवादित सीमा पर बसे लोगों को भी अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राज्यों एवं देश की सीमाओं पर बसे लोगों के लिए तो और भी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें जब कहीं न्याय या विवाद को सुलझाने की गुहार लगानी होती है, तो उन्हें अक्सर सीमाओं का दायरा बताकर पुलिस एवं अधिकारियों द्वारा टरका दिया जाता है। राज्य एवं देश तो दूर की बात, जनपदों के सीमा विवाद में सीमा पर बसे लोगों को समस्याएं आती हैं। उदाहरणार्थ सीमा पर बसे किसी व्यक्ति को पुलिस थाने में अपने ऊपर हुए अत्याचार की रिपोर्ट दर्ज करानी हो, तो कई बार पुलिस उसे दूसरे थाने का मामला बताकर टरका देती है। दूसरे थाने की पुलिस भी यही करती है, जिसके चलते पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। ऐसे कई मामले न्यायालयों में चलते हैं, जो सीमा विवाद को लेकर होते हैं।
इसी वर्ष मार्च के महीने में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों की सीमा पर बसे किसानों में मारपीट हुई थी। एक बार फिर सीमा विवाद पर किसानों में मारपीट का वीडियो वायरल हो रहा है। विदित हो कि उत्तर प्रदेश एक अकेला ऐसा राज्य है, जिसकी सीमाएं आठ राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व मध्य प्रदेश से एवं एक केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली से मिलती हैं। इसी के चलते उत्तर प्रदेश का सीमा विवाद भी कई राज्यों से है। अगर हरियाणा से उत्तर प्रदेश का सीमा विवाद सुलझ जाता है, तो अन्य प्रदेशों से भी सीमा विवादों के सुलझने की पहल होगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आगे बढ़कर पहल करनी होगी, ताकि शीघ्र ही सभी सीमा विवाद निपट सकें।