*चुंआ बनाकर पानी पीने को है दिवस
*ग्रामीणों ने कहा मुझे जीने के लिए पानी दो सरकार
*नींद से कब जागेगी सरकार पूछता है ग्रामीण
झारखण्ड : सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत सरायकेला प्रखंड के मोहितपुर पंचायत के कासीदा गांव की। एक और सरकार और प्रशासन भले ही आदिम जनजाति समुदाय के विकास को लेकर लाख दावे करती हो, परंतु जमीनी हकीकत देखें तो पहाड़ों में रहने वाले आदिम जनजाति समुदाय की स्थिति जस की तस है। विकास और उत्थान की बात तो दूर गई। यहां योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं होने के कारण आदिवासी समुदाय आज भी मूलभूत सुविध वंचित हैं। इस गांव के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधा शुध्द पानी, अच्छी सड़क से वंचित हैं। गांव के दर्जनो लोगों ने बताया कि पीने के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं है। लोग पहाड़ों से निकलने वाले दूषित पानी को चुंआ बनाकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
साथ ही कहा कि गांव में एक भी चापानल नहीं है। इस कारण आज भी हम चुंआ का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। गंदा पानी पीकर बच्चे, बूढ़े सभी बीमार पड़ते हैं। मुख्य सड़क सरायकेला विधानसभा का अंतिम गांव कालाझोर से कासीदा गांव तक जाने वाली 5 किमी सड़क पूरी तरह पथरीली व पगडंडीनुमा है। सड़क पर बड़े बड़े पत्थर व रोड़ा है। इस कारण सड़क पर आवागमन करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कई लोग पैदल चलते हुए चोटील भी होते हैं। गांव में बीमार पड़े व्यक्ति को आस्पताल ले जाने में दिक्कत होती है। चारपाई के सहारे पहाड़ों को पार कर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार बिजली विभाग ने डेढ़ वर्ष पूर्व बिजली तो गांव तक पहुंचा दी लेकिन बिजली रानी भी आंख मिचौली करती है। सरकार ने छोटे बच्चे के लिए एक विद्यालय तो बना दिया है परंतु वो भी खस्ताहाल में है कब विद्यालय का छत बच्चों के ऊपर गिरेगा कहना मुश्किल है विद्यालय में मिड डे मील तो चालू है परंतु बच्चे खाना खाने के लिए पानी अपने घर से लाते हैं शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय में लगाया गया एकमात्र चापाकल जो बरसों से खराब पड़ा है। खूंटी लोक सभा और खरसावां विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक सह तीन बार के मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में आदिम जनजाति केंद्रीय मंत्री का नजर भी इस गांव तक नहीं पहुंच पाया। ग्रामीणों ने बताया कि विधायक जिला उपायुक्त एवं जनप्रतिनिधियों को पेयजल के लिए कई बार गुहार लगा चुकी है परंतु आज तक उनके गांव में एक चापाकल तक नहीं लगाया गया।