दुमका डीएफओ सात्विक कुमार ने साइट की वीडियोग्राफी करायी, कहा होगी कार्रवाई
पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए प्रत्येक वर्ष झारखंड सरकार ही नहीं केंद्र भी सघन पौधारोपण को बढ़ावा दे रहा है। झारखंड की उप राजधानी दुमका में केंद्रीय एजेंसी ने ही रेलवे साइडिंग बनाने के नाम पर सैकड़ों पेड़ काट डाले। आश्चर्यजनक बात यह है कि रेलवे ने इसके लिए वन विभाग से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा और रात के अंधेरे में ही पेड़ों को नेस्तनाबुद कर दिया। रेलवे द्वारा जो पेड़ काटा गया उसकी भनक तक वन विभाग को नहीं लगी । अचानक जब वन विभाग की टीम साइट पहुंची, तो पाया कि हजारों पेड़ कटे हुए हैं। यह सब दुमका के कुरूवा गांव के पास हुआ है ।
वर्ष 2022 में दुमका रेलवे स्टेशन परिसर में कोल डंपिंग यार्ड की शुरुआत की गई है । पाकुड़ से सड़क मार्ग द्वारा कोयला लाकर दुमका रेलवे स्टेशन परिसर में कोयले को डंप किया जाता है, जहां से इसे गंतव्य तक भेजा जाता है। कोल डंपिंग यार्ड प्रारंभ होते ही स्टेशन परिसर और उसके आसपास रहने वालें लोगों ने कोयले के धूल कण से परेशान होकर प्रदूषण के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। वैसे तो रेलवे ने आज तक यह नहीं माना कि कोयला डंपिंग से प्रदुषण फैल रहा है । दुमका रेलवे स्टेशन से सटे कुरूवा के पास हावड़ा रेल डिविजन की भी अपनी जमीन है । मई माह में हावड़ा और आसनसोल रेल डिविजन के डीआरएम ने स्थल निरीक्षण कर यहां पर कोल डंपिंग के लिए यार्ड बनाने की बात कही थी. यार्ड बनाने का उद्देश्य यार्ड का विस्तार करना था या रेलवे स्टेशन के आस पास रहने वाले लोगों को प्रदुषण से मुक्ति दिलाना था यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। रेलवे से अनुमति मिलने के बाद बीजीआर कंपनी ने वन विभाग के अनुमति के बगैर तीन दिन के अंदर रातों रात करीब पांच सौ पेड़ काट डाले । जबकि नियम यह है कि किसी को भी हरे भरे पेड़ काटने के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है। लेकिन यहां रेलवे और कार्यकारी एजेंसी ने वन विभाग के नियमों की अनदेखी कर पेड़ काट डाले।
डीएफओ सात्विक कुमार ने घटना स्थल की करायी है वीडियोग्राफी
पेड़ काटने की जानकारी जैसे ही डीएफओ सात्विक कुमार को मिली तो वे पुरी टीम के साथ जांच करने के लिए पहुंच गये । कटे हुए पेड़ की तस्वीर और वीडियोग्रापी कराई गई । जांच में प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि ना तो रेलवे और ना ही कार्यकारी एजेंसी ने ही वन विभाग से इसकी अनुमति ली है । जब रेलवे के लिए कोल डंपिंग यार्ड का काम कर रही बीजीआर कंपनी के साइट इंचार्ज से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला रेलवे और वन विभाग के बीच का है ।