सोनिया के डिनर के साथ विपक्ष की बैठक बेंगलुरु में, सोनिया ने केजरीवाल को फोन किया

नई दिल्ली :जैसा कि पहले एनसीपी पार्टी टूटने के बाद, मेज़बान के नाते कांग्रेस पार्टी के संगठन सचिव केसी वेणुगोपाल बताया था कि विपक्ष की बैठक 17-18 जुलाई को ही बेंगलुरु में होगी। पिछली बार विपक्ष की बैठक में मलिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की तरफ से हाजीर थे लेकिन तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के बात मान कर इस बार कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष व सांसद सोनिया गांधी भी हाजिर होंगी | अस्वस्थ चल रहे राजद प्रमुख लालू यादव ने भी कहा है कि वह सोनिया गांधी के निमंत्रण पर विपक्ष की बैठक के लिए बेंगलुरु जाएंगे।

आम आदमी पार्टी सूत्रों से मिली खबर के अनुसार,सोनिया का फोन पाकर अरविंद केजरीवाल गद-गद हो गए हैं | सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, 17 को रात्रि भोज और 18 को बैठक ऐसा है एजेंडा | 17 जुलाई को सोनिया गांधी चाहती है विपक्ष पार्टी के सभी नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित करना और पार्टी की तरफ से निमंत्रण पत्र भेजना भी शुरू किया गया | जबकि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग एक नई प्रविष्टि है, अध्यादेश मुद्दे पर कांग्रेस के समर्थन के मुद्दे पर पटना में पहली बैठक में स्पष्ट टकराव के बाद आम आदमी पार्टी को भी निमंत्रण भेजा गया है सोनिया गांधी के तरफ से | कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को भी पार्टी सुप्रीमो ने केडीएमके और एमडीएमके को इस बैठक में हाजिर करवाने को कहा गया, जो पहले 2014 में भाजपा के सहयोगी थे, जिन्हें अब सोनिया गांधी ने विपक्ष की बैठक में आमंत्रित किया है। नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला या उनका बेटे उमर अब्दुल्ला में से कोई एक तो जरूर विपक्ष की बैठक में बेंगलुरु में हाजिर होंगे ऐसा कहा है |

23 जून को पटना में हुई बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेता शामिल हुए थे। उस बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में काफी तू तू मैं मैं हुआ था, जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा था की अगर कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश मुद्दे पर पार्टी का समर्थन नहीं करती है तो वह विपक्षी एकता से बाहर हो जाएगी, इस मुद्दे को अब सोनिया गांधी देख रही हैं।

पटना बैठक में करीब 17 दलों ने हिस्सा लिया था लेकिन इस बार 8 और नई पार्टियों को न्योता भेजा गया है, जिनमें "मरूमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके), कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (जोसेफ), और केरल कांग्रेस (मणि) शामिल हैं।

पहले बिहार के नीतीश कुमार और बाद में शरद पवार विपक्ष को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभा रहे थे | 1 महीने के अंदर विपक्ष की पहली और दूसरी बैठक के बीच राजनीतिक तौर पर बहुत कुछ हुआ | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार और अजित पवार के बीच विभाजित हो गई और दोनों ने ही असली एनसीपी होने का दावा किया। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में तृणमूल को भारी जीत मिली है 

Related Posts

About The Author