मुंबई : महंगाई को लक्षित दायर में रखने के लक्ष्य पर नजर टिकाये रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आज विकास अनुमान को यथावत बनाये रखने और महंगाई के अनुमान को बढ़ाते हुये नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया, जिससे आम लोगों के घर, कार और अन्य प्रकार के ऋणों की किस्तों में बढोतरी नहीं होगी। समिति ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया है।
चालू वित्त वर्ष में तीसरी द्विमासिक तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी बयान में यह घोषणा की गयी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा करते हुये कहा कि वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुये कहा कि फिलहाल नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं की जा रही है लेकिन नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने के बीच समिति ने समयोजन वाले रूख से पीछे हटने का निर्णय लिया है।
समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती के बीच सशक्त और मजबूत बना हुआ और यह महंगाई को काबू में करने में सक्षम है।। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विकास अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। इसके आधार पर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 8.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत रह सकती है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक पूरा ध्यान महंगाई को चार प्रतिशत के लक्षित दायरे में लाने का है। उन्होंने कहा कि टमाटर की कीमतों में उछाल के साथ ही अनाज और दालों की कीमतों में आयी तेजी से महंगाई बढ़ी है लेकिन अब सब्जियों की कीमतों में कमी आने का पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के अनुमान को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया गया है। दूसरी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5.2 प्रतिशत रह सकती है।