महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले अधिक समय की जरूरत
नई दिल्ली, 21 अगस्त, विपक्षी खेमे ने देश की कानून व्यवस्था को मौलिक रूप से बदलने वाले तीन विधेयकों – भारतीय नागरिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – को पारित करने में भाजपा खेमे की जल्दबाजी पर आपत्ति जताई है। गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति एक सप्ताह के नोटिस पर इन तीन महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा शुरू करने का इरादा रखती है। आज राज्यसभा में तीसरी बार सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद डेरेक ओ’ब्रायन ने राज्यसभा के अध्यक्ष के पास
विपक्षी ‘इंडिया अलायंस’ के कई सांसदों ने इस मुद्दों पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने की मांग की है | संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजलाल अगले हफ्ते से इस बिल पर चर्चा शुरू करना चाहते थे | लेकिन तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सहित विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले अधिक समय की आवश्यकता है। इस मामले में भी ‘इंडिया अलायंस’ के सांसद आपस में समन्वय बनाकर आगे बढ़ रहे हैं |
विपक्ष के इस तालमेल की तस्वीर संसद में दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के मौके पर और साफ हो गया था जब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी संसद के सेंट्रल हॉल में उनकी तस्वीर पर मालादान समारोह में पहुंचीं थी | इस मौके पर कांग्रेस छोड़कर सपा के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने कपिल सिब्बल भी मौजूद थे | उस वक्त सोनिया ने तृणमूल कांग्रेस के जहर सरकार, डेरेक ओ’ब्रायन और सिब्बल को नाम लेकर बुलाई थी और अपने बगल में बैठाई थी | सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, इसके बाद उन्होंने यूपीए सरकार के कानून मंत्री सिब्बल से इन तीनों कानूनों पर काफी देर तक चर्चा की थी | संसद में पेश किए जाने के बाद सिब्बल ने तीनों विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए कहा कि ये तीनों प्रस्तावित कानून न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं, साफ है कि मोदी सरकार देश में लोकतंत्र कायम नहीं रखना चाहती | उस समय कांग्रेस ने भी शिकायत की थी कि देशद्रोह का अपराध हटाया नहीं गया है | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह न केवल इसे वापस ला रहे हैं, बल्कि राजद्रोह की परिभाषा इस तरह बनाई गई है कि इसका मनमाने ढंग से दुरुपयोग किया जा सके। उस दिन कांग्रेस छोड़ने पर सिब्बल की सोनिया से हुई लंबी बातचीत से साफ है कि विपक्षी खेमा इन तीन कानूनों के विरोध में एकजुट हो रहा है |
संसद के बादल सत्र के आखिरी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अचानक लोकसभा में तीन बिल पेश कर दिए थे | उन्होंने भारतीय दंड संहिता के स्थान पर ‘भारतीय न्याय संहिता’, आपराधिक दंड संहिता के स्थान पर ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ लाने के लिए तीन विधेयक पारित किए। विधेयकों को गृह मंत्रालय की स्थायी समिति को भेजा गया है। संसद परिसर में ही उसदिन केंद्रीय गृहमंत्री संवाद माध्यम को अनौपचारिक सरकार का पक्ष रख वार्ता दिए थे | लेकिन अब बीजेपी खेमा चाहता है कि स्टैंडिंग कमेटी तीन बिलों पर सिर्फ तीन महीने के अंदर ही अपनी रिपोर्ट सौंप दे | ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के अंत में संसद के शीतकालीन सत्र में तीन विधेयक पारित किये जा सकते हैं और इसीलिए इस बिल पर चर्चा के लिए 24 अगस्त से लगातार तीन दिनों तक स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई |
इसी बात पर विपक्षी सांसदों ने आवाज उठाई | तृणमूल के राज्यसभा दल के नेता, स्थायी समिति के सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने समिति के अध्यक्ष बृजलाल को पत्र लिखकर कहा कि 18 अगस्त को एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि 24, 25 और 26 अगस्त को, बस कुछ ही दिनों बाद, तीन विधेयकों पर बैठक होगी | उन्होंने सवाल उठाया की इतने दूरगामी प्रभाव वाले विधेयक पर बैठकर चर्चा करने से पहले ज्यादा समय देना चाहिए। इसलिए बैठक इस महीने की बजाय सितंबर में बुलाई जाए | संसद का सत्र अभी अभी ख़त्म हुआ है, परिणामस्वरूप सांसदों के अपने क्षेत्र या राज्य में कई कार्यक्रम और बैठकें होती हैं। विपक्षी खेमे के सांसदों के मुताबिक, मोदी सरकार इन बिलों के जरिए देशद्रोह कानून को पलट रही है, वे पुलिस को ज्यादा शक्तियां सौंपना चाहते हैं और इसलिए इन तीनों विधेयकों पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है। उनका कहना है कि इन तीनों विधेयकों पर संबंधित हलकों की राय लेना जरूरी है | ऐसा किए बिना ही बीजेपी जल्द से जल्द स्थायी समिति की मुहर लेना चाहती है | विपक्षी खेमे के सूत्रों के मुताबिक, उनकी आपत्तियों के बावजूद अगर बीजेपी इस महीने स्थायी समिति की बैठक में चर्चा करके तीन विधेयकों को लेकर को बुलडोज़ करना चाहती है, तो अगली रणनीति उसी के अनुसार तय की जाएगी।