यमुनानगर : वर्ष 2022 में बिजली निगम में फर्जी वाउचरों के जरिए सेवानिवृत्त कर्मियों के रुपयों में गबन करने के मामले में ईडी (इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट) ने आठ पूर्व कर्मचारियों के घरों पर रेड की है। प्रतापनगर थाना क्षेत्र में प्रतापनगर, बहादुरपुर व सपोलिया में रेड की गई। जबकि यमुनानगर में सरोजनी कालोनी, वीणानगर, लालद्वारा सहित पांच जगहों पर रेड की गई। सुबह छह बजे से यह टीम पहुंच गई थी। इस दौरान किसी को भी न तो घर के अंदर आने दिया गया और न ही घर से बाहर जाने दिया गया। देर शाम तक ईडी की टीम जांच करती रही।
प्रतापनगर में सेवानिवृत्त बिजली कर्मचारी सुखबीर सिंह, बहादुरपुर निवासी ओम प्रकाश और सपोलिया निवासी सुरेश के घर पर ईडी की टीम पहुंची। यह तीनों कर्मचारी रेवेन्य विभाग में कार्यरत थे। हालांकि लगभग चार वर्ष पहले यह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से सुखबीर सिंह और सुरेश कुमार की तीन वर्ष पहले मौत हो चुकी है। ईडी की टीम ने उनके स्वजन से पूछताछ की। जब टीम यहां पर पहुंची तो अधिकारियों ने मकान के अंदर घुसते ही गेट बंद कर सभी के फोन बंद करा दिए। सीआरपीएफ के जवान तैनात रहे। किसी को अंदर नहीं आने दिया गया। सुबह जब टीम गांवों में पहुंची तो ग्रामीण भी हैरान रह गए।
यमुनानगर में यहां पर हुई रेड : यमुनानगर के सरोजनी कालोनी में सेवानिवृत्त एक्सईएन संजीव गुप्ता, लालद्वारा में तत्कालीन अकाउंटेंट पूजा गेरा, सरनी चौक निवासी शैफाली, भारत कालोनी निवासी योगेश लांबा, वीणानगर कैंप में तत्कालीन एएलएम मनहर के घर पर भी ईडी की रेड हुई। यहां पर भी टीम सुबह ही पहुंच गई थी। टीम ने बिजली निगम में तैनात रहे कर्मियों के अलावा उनके स्वजन से भी पूछताछ की। यहां से बैंक डिटेल सहित प्रापर्टी के दस्तावेज भी लिए गए हैं। सुबह से लेकर शाम तक ईडी की टीम जांच करती रही। जिसको लेकर बिजली निगम में खलबली रही। हर कोई इस रेड के बारे में जानकारी ले रहा था।
यह हुआ था बिजली निगम फर्जीवाड़ा : यह फर्जीवाड़ा पानीपत में दर्ज केस के बाद उजागर हुआ था। समालखा निवासी टैक्सी चालक के खाते में बिजली निगम के खाते से रुपये ट्रांसफर हुए थे। उसने शक होने पर नौ फरवरी 2022 में समालखा थाना में केस दर्ज कराया था। जिसके बाद पानीपत की पुलिस ने जांच शुरू की। तत्कालीन एक्सईएन बिलासपुर नीरज सिंह, तत्कालीन एक्सईएन जगाधरी कुलवंत सिंह, सेवानिवृत्त एक्सईएन संजीव गुप्ता, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधावन, अकाउंटेंट पूजा, मनहर, डिप्टी सुपरिटेंडेंट राकेश नंदा, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जगमाल सिंह, समालखा में तैनात डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा, डीसी रेट के कर्मी सोनू, अतुल, सुरजीत, अनीस, पवन व अजय को आरोपित बनाया गया। हालांकि इस केस में नाम आने के बाद चक्रवर्ती शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक मामला बिलासपुर व एक शहर यमुनानगर थाना में तत्कालीन एक्सईएन ने दर्ज कराया था। विभाग ने आडिट कराई। जिसमें बिलासपुर व जगाधरी डिविजन में लगभग 50 करोड़ रुपये का गबन मिला था। इस केस में आरोपितों की गिरफ्तारियां हुई। वहीं इस केस में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए एक्सईएन नीरज सिंह की केस में संलिप्ता नहीं मिली थे। जिस पर उसे डिस्चार्ज करा दिया गया था।
इस तरह से किया गया था फर्जीवाड़ा : सेवानिवृत्त कर्मियों के नाम से फर्जी वाउचर बनाकर यह फर्जीवाड़ा किया गया। वाउचर पर साइन करने की जिम्मेदारी एक्सईएन की होती है। इसमें किसी कर्मी की पेंशन, ग्रेचुएटी, एरियर का रुपया है तो पहले उसका वाउचर भरकर दे दिया। फिर उसके नाम से फर्जी वाउचर भरकर दोबारा रुपये निकलवा लिए गए थे। विभाग से पेंशन लेने वाले कुछ कर्मियों की मौत हो चुकी है लेकिन इन कर्मियों का डाटा विभाग में चढ़ाया गया था। इनके भी रुपये निकाले गए थे।