यूपी:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि अगर पत्नी 18 वर्ष से अधिक की है, तो वैवाहिक बलात्कार को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। इसमें आरोपी को आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषी ठहराने की बात शामिल है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि वैवाहिक रिश्तों में ‘अप्राकृतिक अपराध’ के लिए कोई जगह नहीं है, और सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में पेंडिंग याचिकाओं का इंतजार करना होगा।
आरोपित पुरुष को क्रूरता और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के आरोप में दोषी ठहराया गया है, जबकि धारा 377 के तहत उसे बरी किया गया है। इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की पिछली टिप्पणी का समर्थन किया है और साझा किया है कि इस तरह के मामलों में अब तक वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है।
न्यायाधीश हिमा कोहली ने इस मौके पर सोशल मीडिया के माध्यम से यौन उत्पीड़न की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की और ‘डीपफेक’ तकनीक के उद्भव के साथ भी जुड़ी चुनौतियों पर बात की।