*J&K को मिले राज्य का दर्जा; अगले 30 सितंबर तक कराएं चुनाव- सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म करना सही था।जम्मू कश्मीर की संविधान सभा खत्म होने के बाद आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने का राष्ट्रपति का संवैधानिक अधिकार बनता है। राष्ट्रपति के पास अधिकार था कि वो आर्टिकल 370 को खत्म कर सकते हैं। भले ही तब संविधान सभा अस्तित्व में ना हो।जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो। चुनाव आयोग से कहा कि 30 सितंबर तक चुनाव कराएं।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई हुई थी। इसके बाद 5 सितंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
370 को हटाने का फैसला सही
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को हटाने के राष्ट्रपति के अधिकार के इस्तेमाल को हम गलत नहीं मानते। कोर्ट ने राष्ट्रपति के आदेश को वैध माना।देश के संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं। आर्टिकल 370(1)d के तहत ऐसा किया जा सकता है। कोर्ट ने हालांकि माना कि संविधान की व्याख्या वाले 367 का इस्तेमाल करके 370 को खत्म करने का फैसला सही नहीं था।
367 के जरिए 370 को खत्म करना ठीक नहीं था– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जारी आदेश में आर्टिकल 367 में सरकार ने एक नया Clause जोड़ दिया था, जिसके तहत जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की व्याख्या जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के रूप में की गई थी।कोर्ट ने कहा कि संविधान की व्याख्या करने वाले आर्टिकल (आर्टिकल 367) का ऐसा इस्तेमाल संविधान में संशोधन के लिए नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने हालाकि माना कि संविधान की व्याख्या वाले 367 का इस्तेमाल करके 370 को खत्म करने का फैसला सही नहीं था।
पुर्नगठन बिल पर विचार की जरूरत कोर्ट नहीं समझता- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थाई प्रावधान था। जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की गैरमौजूदगी में राष्ट्रपति इसे हटाने का फैसला ले सकते हैं।राष्ट्रपति शासन के वक्त संसद विधानसभा का रोल निभा सकती है ।संविधान के सभी प्रावधान को जम्मू-कश्मीर पर लागू करने का फैसला वैध है। जम्मू-कश्मीर के पुर्नगठन बिल पर विचार की कोर्ट जरूरत नहीं समझता। इसके मद्देनजर SG आश्वस्त कर चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द बहाल होगा।