*सरकार ने बताया : आपातकालीन स्थिति में सावधानी के लिए विकसित की गई है यह प्रणाली, देश के किसी भी नागरिक की निजता को नहीं है कोई खतरा.-ट्रायल के लिए अब तक भेजे जा चुके हैं 1359 करोड़ मैसेज.
नई दिल्ली: विगत कई माह से देश के आम नागरिकों के मोबाइल पर इमरजेंसी अलर्ट के मैसेज भेजे जा रहे हैं। कई बार आम लोगों में इस मैसेज को लेकर भय भी देखा गया है। रांची के सांसद संजय सेठ ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया और सरकार से पूछा कि आमजन के उपकरणों पर इमरजेंसी अलर्ट के मैसेज भेजे जा रहे हैं। इससे उनकी गोपनीयता को कोई खतरा है क्या।
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सांसद ने यह भी पूछा कि मोबाइल फोनों की कुल संख्या का ब्यौरा क्या है, जहां यह संदेश भेजें जा रहे हैं। इससे जुड़े और भी कई सवाल सांसद ने लोकसभा में रखे। इसके जवाब में केंद्रीय संचार राज्यमंत्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि संचार प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गृह मंत्रालय और संचार मंत्रालय ने संयुक्त रूप से नागरिकों को संभावित आपदाओं के बारे में सतर्क करने के लिए चेतावनी तंत्र सचेत के नाम से विकसित किया है। इस तंत्र का उपयोग करके नागरिकों को विभिन्न परिस्थितियों से सतर्क रहने का संक्षिप्त संदेश भेजा जाता है। अब तक पूरे देश में इसका ट्रायल हो चुका है। यह संदेश 1359 करोड़ बार अलग-अलग मोबाइल पर भेजा जा चुका है। आपदा संबंधी जागरूकता को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं ताकि आपातकालीन सावधानी सूचक मैसेज के आधार पर सेल ब्रॉडकास्टिंग विकसित करने के लिए और बेहतर काम हो सके।
श्री सेठ को सदन में यह भी बताया गया कि इन दोनों तंत्रों को सूचना का प्रसार सुनिश्चित करने और जान बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐसे संदेश से देश के किसी भी नागरिक की व्यक्तिगत निजता को कोई खतरा नहीं है।