नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों के परिवार वर्ग से मिले आज संसद भवन परिसर में | जैसा कि इन शहीदों के परिवार वर्ग को हर साल संसद भवन में बुलाकर सम्मानित किया जाता है | आपको अब बताते हैं क्या हुआ था 13 दिसंबर, 2001 को संसद भवन में |
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13 दिसंबर 2001 के दिन भारतीय संसद में सुबह शीतकालीन सत्र चल रहा था | किसी को अंदाजा भी नहीं था कि थोड़ी ही देर में आतंकवादी इस परिसर में घुसकर आतंक फैलाने वाले हैं | ये हमला लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद आतंकी ग्रुप के आंतकवादियों ने किया था, आतंकवादियों की संख्या 05 थी | लेकिन इतिहास के पन्नों में ये तारीख अपनी एक गहरी छाप छोड़े हुए है क्योंकि इसी दिन 2001 में भारत की संसद पर आतंकी हमला हुआ था | हमले में 9 लोग शहीद हुए थे, जवाबी कार्रवाई में लश्कर ए तैयबा के 5 आतंकियों को सुरक्षाकर्मियों ने ढेर कर दिया था |
हमले के वक्त आवास के लिए निकल गए थे पीएम अटल बिहारी वाजपेयी |
उस दौरान ज्यादातर सांसद सदन में मौजूद थे। जबकि हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था। जिसके चलते प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और और लोकसभा में विपक्ष की नेता सोनिया गांधी हमले से पहले अपने आवास के लिए निकल चुके थे।
संसद की मुख्य इमारत में करीब 100 सांसद मौजूद थे | हालांकि उस दिन राज्यसभा और लोकसभा के सत्र स्थगित हो गया था | उस समय आतंकवादी सेना की यूनिफार्म पहनकर एक सफेद रंग की एंबेसडर कार से संसद परिसर में घुसे | पांच आतंकवादी गृह मंत्रालय और संसद के नकली स्टिकर लगाकर एक सफेद एम्बेसडर में परिसर में घुसे। यह कहना गलत नहीं होगा कि उस समय संसद की सुरक्षा व्यवस्था आज जितनी चाक चौबंद नहीं थी। भारत के दुश्मनों ने संसद भवन में दाखिल होकर ताबड़तोड़ गोलीबारी चालू कर दी। उनकी गोलीबारी में सबसे पहले जो शहीद हुईं थीं वह कमलेश कुमारी यादव थीं। सीआरपीएफ की कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी सुबह विकास पुरी के अपने घर से पति और दोनों बेटियों- ज्योति और श्वेता के लिए नाश्ता बनाकर ड्यूटी पर आई थीं। कमलेश कुमारी की ड्यूटी गेट नंबर 1 पर थी। उसने देखा कि एक एंबेसेडर कार वहां से बिना उनकी अनुमति लिए संसद में तेजी से चली गई। कमलेश कुमारी को दाल में काला नजर आया। वो भागकर अपने गेट को बंद करने लगीं और फिर उन्होंने बाकी गेटों पर तैनात अपने साथियों को सतर्क भी कर दिया। इसी दौरान चेहरे पर नकाब ओढ़े आतंकियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। उन्हें 11 गोलियां लगीं। यह 11:50 बजे की घटना है। कमलेश कुमारी ने भारत के लोकतंत्र को बचाने