काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी भूमि स्वामित्व विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं को खारिज किया, सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा सकता है
उत्तर प्रदेश : वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी भूमि के स्वामित्व विवाद में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जज जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मुकदमे की चुनौती को बढ़ाते हुए ट्रायल कोर्ट से 6 महीने में फैसला करने का निर्देश दिया है।
मुकदमा देश के दो प्रमुख समुदायों को प्रभावित कर रहा है इस निर्णय से उत्पन्न हुई समस्या ने देश के दो प्रमुख समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। इस संघर्ष की मध्यस्थता के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने का सुझाव दिया है। यह निर्णय विवाद समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
एएसआई सर्वेक्षण का महत्व इस निर्णय के साथ ही, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वेक्षण को अन्य मुकदमों में भी दायर करने का निर्देश दिया है। यदि निचली अदालत को लगता है कि किसी हिस्से का सर्वेक्षण आवश्यक है, तो वह एएसआई को सर्वेक्षण करने का निर्देश दे सकती है। यह हमें विवादों की न्यायिक प्रक्रिया में पुनरारंभ की आशा दिखाता है।
समाप्तित तिथि का महत्व इस पूरे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाप्तित तिथि को भी महत्वपूर्ण बनाया है और फैसला तेज़ी से आने के लिए ट्रायल कोर्ट को 6 महीने का समय दिया है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में सुधार हो सकता है और विवाद का शीघ्र समाधान हो सकता है।
सारांश में इस निर्णय ने विवाद समाधान की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया है, लेकिन समुदायों के बीच तनाव की चिंगारी को भी भड़का दिया है। सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने की संभावना है, जो इस मामले को एक न्यायिक दृष्टिकोण से समाधान कर सकता है।**