झारखंड में नक्सलियों की चलती है सरकार

*एक कॉल पर ठप हो जाता है जनजीवन

झारखंड : बिहार राज्य से विभाजन होकर 15 नवंबर 2000 को झारखंड के जन्म के बाद से, नक्सली हिंसा, विशेष रूप से एमसीसी की हिंसा, झारखंड में स्थानांतरित हो गई है, जो खनिज और वन संपदा से समृद्ध है।झारखंड के 24 जिलों में से 18 जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं।



नक्सलियों के अनुरूप है झारखंड :

झारखंड राज्य के उत्तर-पश्चिमी भाग में  पड़ोसी राज्यों में छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार और बंगाल, ओडिशा  है।इन राज्यों का सीमा झारखंड से लगा हुआ है।जिसके कारण नक्सलियों द्वारा बड़ी बारदात देने के बाद बच निकलने में सुगमता रहा है।वे किसी भी घटनाओं के बाद  पड़ोसी राज्यों में भाग जाते हैं।

झारखंड में सक्रिय नक्सली दस्ता :

झारखंड में नक्सली समूह में मुख्य रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के ग्वेरिस्ट सशस्त्र कैडर शामिल हैं। वही टीपीसी, जेजे एम नामक नक्सली समुह एक्टिव है। नक्सली आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों तक फैले हुए हैं।


नक्सलवाद की शुरुआत :

नक्सलवाद की शुरुआत स्थानीय जमींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी । विद्रोह की शुरुआत 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।

नक्सलवाद का जड़ :

झारखंड में भूमि सुधारों का धीमा कार्यान्वयन नक्सलवाद के बढ़ने का मुख्य कारण है। इन सुधारों के कार्यान्वयन में देरी के लिए जमींदार अक्सर अदालत में चले गए। वे स्थानीय राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ भी समझौता कर लेते हैं, जिससे भूमि सुधार प्रक्रिया धीमी और बोझिल हो जाती है।अब बेरोजगारी भी मुख्य भूमिका निभा रहा है। जल्दी रुपए कमाने की ललक भी युवाओं को नक्सलियों से जोड़ रहा। यहां लेवी के नाम पर खनिज संपदा, वन संपदा से अथाह धनराशि के कमाई युवा और अपराधियों को नक्सलियों से जोड़ रहा है। मुख्य रूप से आयरन ओर, कोयला और वन संपदा में केंदु पत्ता, लकड़ी, काजू सहित विभिन्न बंद संपदाओं है जिससे लेवी रुप बहुत सारे रुपए वसूले जाते हैं। इसके आलावा विकास कार्यों से वसूली होती है।

जून तक नौ नक्सली मारे गए :

झारखंड में इस वर्ष पुलिस नक्सलियों के बीच अनकों मुठभेड़ हुए।वर्ष जून 2023 तक पुलिस के साथ हुए 16 मुठभेड़ में विभिन्न नक्सली संगठनों के नौ नक्सली मारे गए। डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष जून 2023 तक पुलिस के साथ हुई 16 मुठभेड़ की घटनाओं में विभिन्न नक्सली संगठन के नौ नक्सली मारे गये। वहीं दर्जनों सुरक्षा बलों ने शहादत दी है।राज्य सरकार ने दो जिलों को नक्सली मुक्त घोषित किया है।इस समय झारखंड में 16 ज‍िले ऐसे हैं जहां कुख्‍यात नक्‍सली 113 नक्‍सली ऐसे हैं जो पुल‍िस के ल‍िए स‍िरदर्द बने हुए हैं।पुलिस के आंकड़ों के अनुसार जनवरी से लेकर दिसंबर 2023 तक पुलिस ने 327 नक्सलियों को गिरफ्तार किया। वहीं 26 नक्सलियों ने सरेंडर किया है।


आत्मसमर्पण के मुख्य धारा में शामिल कराने के प्रयास में सरकार :
“झारखंड सरकार आत्मसमर्पण के तहत नई दिशा,नई पहल “योजना चला रही है।जिसके तहत नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है।
आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात नक्सली और कुख्यात अपराधियों को सुधारने के लिए ओपन जेल की स्थापना की गई है।वर्ष 2011 में पुलिस व सीआरपीएफ द्वारा चलाया गया अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन ऐनाकोंडा के बाद नक्सली सारंडा छोड़कर कोल्हान व पोड़ाहाट के जंगलों में लंबे समय तक शरण लिये हुये थे।


*मुख्य धारा में कुख्यात नक्सली और अपराधियों को लाने के लिए ओपन जेल की गई थी शुरुआत*

हजारीबाग में झारखंड प्रदेश की पहले ओपन जेल की स्थापना 18 नवंबर 2013 को की गई। जिसका परिक्षेत्र 12 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें एक सौ कुख्यात नक्सली और अपराधियों को परिवार सहित रखने की व्यवस्था की गई है। अपराधियों के साथ परिवार के पांच सदस्य रह सकते हैं। उन्हें जेल के बाहर और भीतर आने-जाने की छूट है ।जबकि अपराधी को इसकी इजाजत नहीं मिली है।यहां प्रदेश के सबसे बड़े कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को भी रखा गया है। इस पर विधायक और सांसद की हत्या, पांच करोड़ रुपए लुट सहित कुल 128 मुकदमे दर्ज हैं। कुंदन पाहन अपनी पत्नी के साथ रहता है। उसने 2017 में रांची पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। उस पर लाखों रुपए के नाम घोषित है। इसी तरह अनेक नक्सली कमांडर, सदस्य और कुख्यात अपराधियों को रखा गया है ,जो जेल परिसर में रहकर खेती-बाड़ी और आत्मनिर्भर होने की कला सीख रहे हैं।

नक्सली वारदात के शिकार लोगों को मुआवजा की व्यवस्था :

झारखंड के किसी भी इलाके में होने वाली उग्रवादी हिंसा के शिकार व्यक्ति के आश्रित को अब तीन लाख रुपये का मुआवजा व सरकारी नौकरी दी जाएगी। नौकरी नहीं लेने वालों को तीन लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। सीएम के आदेश पर प्रस्ताव तैयार है।



आज भी जारी है नक्सली और सुरक्षा बलों के बीच भिड़ंत
झारखंड के 24 जिलों में से 16 जिलों में आज भी नक्सली सुरक्षा बलों से दो- दो हाथ करने से नहीं चूकते हैं।उनके एक कौल पर पूरे झारखंड की गति धीमी हो जाती है। ऐसे लगता है कि झारखंड में सरकार की नहीं नक्सलियों की चलती है। कहा जाता है कि चुनाव में जीत के लिए नक्सलियों का आशीर्वाद विभिन्न राजनीतिक दल के नेता लेते रहें हैं।जो जांच का विषय है। वहीं नक्सली और सुरक्षा बलों के मुठभेड़ में अनेकों सुरक्षा बलों ने शहादत दी है।

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