नशा अभिशाप है, इससे दूर रहे तभी बेहतर; नहीं तो जायेंगे तबाह

दिल्ली : दुनिया में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार सालाना लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का है।देश की आबादी के 10 से 75 साल तक करीब 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के नशे के आदी हैं। इससे अनेक परिवारों को तबाह होते देखा गया। मादक पदार्थों को रोकने के लिए अनेक कठोर कानून बने हैं। इसके बाद भी सहजता से अधिक मुनाफा के लिए धड़ल्ले से कारोबार हो रहे।

सबसे दुखद पहलू है कि नशे की चपेट में कम उम्र के लोग आ रहे हैं। खासकर छात्र शामिल हैं।अब तो बाकायदा रेव पार्टीयों का आयोजन कर नशे का जश्न मनाया जाता है, जो भावी पीढ़ी के लिए बेहद खतरनाक है।

नशा एक अभिशाप है । यह एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता ही है साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचाता है । नशे के आदी व्यक्ति को समाज में हेय की दृष्टि से देखा जाता है । नशे करने वाला व्यक्ति परिवार के लिए बोझ स्वरुप हो जाता है, उसकी समाज एवं राष्ट्र के लिया उपादेयता शून्य हो जाती है । वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। नशा अब एक अन्तराष्ट्रीय विकराल समस्या बन गयी है । दुर्व्यसन से आज स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग और विशेषकर युवा वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहे है । इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है । जो इसके चंगुल में फंस गया वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है इसके साथ ही साथ उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है । आज कल अक्सर ये देखा जा रहा है कि युवा वर्ग इसकी चपेट में दिनों-दिन आ रहा है वह तरह-तरह के नशे जैसे- तम्बाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट और शराब के चंगुल में फंसती जा रही है। हमें इससे बचना चाहिए

ड्रग वार डिस्टॉर्सन और वर्डोमीटर की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार सालाना लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी), एम्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं।

नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट रिपोर्ट के अनुसार, देश की आबादी के 10 से 75 साल तक करीब 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के नशे के आदी हैं।इनमें महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी है। आजकल कम उम्र के बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र औषधि और नियंत्रण कार्यालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी।

भारत में कौन-कौन सा नशा करते हैं लोग!

तमाम पाबंदियों के बावजूद भारत डार्कनेट पर बिक रहे मादक पदार्थों की आपूर्ति के लिए दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा सूचीबद्ध किए जाने वाले देशों में से एक है। पिछले कुछ सालों में भारत के साथ ही पूरे विश्व में नशा करने वाले और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इनके गंभीर परिणामों को देखते हुए नशे से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरुक करने के लिए कई संस्थाएं भी समाज में कार्यरत हैं। लोगों पर नशे की बढ़ती गिरफ्त और इसके दुष्परिणामों को देखते हुए भारत में भी राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कईं कानून भी बनाए गए हैं, इसके बावजूद भी इस पर अमल नहीं हो पाता। भारत में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोगों को इसने अपना शिकार बनाया हुआ है। लोग अलग – अलग प्रकार के नशे करते हैं।

भारत में लोग करते हैं ये नशे

भारत में वैसे तो शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन आजकल बहुत आम हो गया है, लेकिन इसके अलावा भी लोग अलग अलग तरह के नशे करते हैं, जिनमे शराब, अफीम, चरस, गांजा (भांग), हेरोइन व कोकेन जैसे घातक नशीले पदार्थ शामिल हैं। कुछ लोग तो दवाइयों का इस्तेमाल भी नशे के रूप में करते हैं।लोग खांसी के सिरप (Cough Syrup) और कुछ निद्रकारक गोलियों का इस्तेमाल नशे के रूप में करते हैं।इसके अलावा भी लोगो ने नशा करने के अलग अलग तरीके खोज रखे हैं जैसे कोई पेट्रोल सूंघकर नशा करता है, कोई थिनर सूंघ कर तो कोई सिलोचन से नशा करता है।

आजकल चलन में नशा हैं और उन्हें खतरनाक ड्रग्स में गिना जाता है।तो आइए देखते हैं शराब और सिगरेट के अलावा किस-किस तरह के नशे चलन में हैं, जिनकी तरह युवा बढ़ रहे हैं…

हेरोइन
हेराइन काफी लोकप्रिय नाम है, जिसे क्वीन ऑफ ड्रग्स भी कहा जाता है। यह एक तरह का पाउडर होता है, जिसे नाक, मुंह या स्मोक के जरिए लिया जाता है। यह काफी महंगा होता है और शरीर पर इसके काफी नुकसान होते हैं।इससे सेक्सुअल प्रॉब्लम्स से लेकर कई तरह की मानसिक दिक्कतें आती हैं और इसकी लत छुड़वाना काफी मुश्किल है।

कोकीन
यह भी काफी लोकप्रिय ड्रग है और इसके रसायन सीधे दिमाग पर असर डालते हैं जिससे आपकी याद रखने की क्षमता कम हो जाती है। कहा जाता है कि इससे इंसान के दिमाग की संरचना बदलने लगती है।

गांजा
आपने ग्रास, कैनाबिस, वीड या गांजा का नाम सुना होगा, ये गांजे के ही प्रकार है। हालांकि, इसे लंबे समय तक लेने से आपको अवसाद और फेफड़े की बीमारी हो सकती है।

एलएसडी
यह साइकेडेलिक ड्रग है।भारत में भी इसका चलन लगातार बढ़ रहा है और ये इतना खतरनाक होता है कि इसका नशा करीब 12 घंटे तक होता है। इसका असर सीधा दिमाग पर होता है। यह मुंह के जरिए ही लिया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे इंजेक्शन के जरिए भी लेते हैं।

स्पीड बॉल
आपने शायद ही इसका नाम सुना होगा, लेकिन यह हेरोइन और कोकीन का घातक मेल होता है।इस ओवररडोज इंसान के मौत का कारण भी बनती है।

एमडीएमए
एमडीएमए भी एक ऐसा ड्रग है जिसे हाफ साइकेडेलिक कहा जा सकता है। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से इंसान का सेरोटोनिन सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और कई दिनों तक लोग हताश और बैचेन रह सकते हैं। यह एक तरह से गोलियां होती हैं।

केटामाइन
दुनिया में सबसे हानिकारक नशीले पदार्थ की लिस्ट में इस ड्रग का नाम है। विदेश में कई पार्टियों में इसका इस्तेनमाल होता है।

क्रिस्टल मेथक्रिस्टल
यह एक तरह से मेथेम्फेटामाईन है जो कि सीधा दिमाग पर असर करता है। इसे लेने से शरीर की ऊर्जा और गतिविधियां बढ़ती है।
आज पूरी दुनिया में एंटी ड्रग डे सेलिब्रेट किया जा रहा है।संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से इस दिवस की स्थापना साल 1987 में हुई थी।हालांकि इतने प्रयासों बावजूद देश दुनिया में अभी भी लोग नशे की लत के शिकार हो रहे हैं।यदि आपके आस-पास भी ऐसे लोग हैं तो उन्हें इस लत से बाहर निकालने में आप उनकी मदद कर सकते हैं।

कैसे छुड़ाएं लत?-

नशा छोड़ने के लिए सबसे पहले अपने मन पर काबू करना जरूरी है।अगर इंसान ठान ले तो नशे की लत छोड़ना मुश्किल नहीं है।आइए आपको बताते हैं कि आखिर किन चीजों का सहारा लेकर आप नशे के कैद से आजाद हो सकते हैं।

लोगों से मेलजोल बढ़ाएं-

नशा छोड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने ध्यान को स्थिर रखें। इस दौरान लोगों से मेलजोल बढ़ाएं ताकि आपके दिमाग में नशे से जुड़े ख्याल ही न आएं।साथ ही सुबह के वक्त मेडिटेशन या वर्कआउट करना शुरू कर दें।इससे आप खुद-ब-खुद अपने स्वास्थ की देखभाल करने लगेंगे।

काउंसिलर की मदद लें-

नशा से मुक्त होने के लिए किसी डॉक्टर या काउंसिलर की मदद लेना भी सही होगा।इनके गाइडेंस में आपको नशे से छुटकारा पाने में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा
ट्रीटमेंट्स, सपोर्ट ग्रुप्स और डॉक्टर से कंसल्टेशन भी बहुत जरूरी है, लेकिन दो और चीज़ें हैं, जिनका इस एडिक्शन को दूर करने में बहुत बड़ा रोल होता है, वो है- पर्याप्त नींद और एक्सरसाइज। रोजाना की नींद पूरी कर और थोड़ी देर की फिजिकल एक्टिविटी नशे की लत से छुटकारा दिलाने में बहुत हद तक मददगार साबित हो सकती है।

नशीले पदार्थ की रोक का कानून कैसे काम करता है…

नशीले पदार्थों के खिलाफ हमारे यहां सख्त कानून हैं। इनमें कड़ी सजा के प्रावधान है। इसके बाद भी देश में आए दिन इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस संबंध में कानून और किस तरह से काम करता है।देश में कई स्थानों पर नशे का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है और नई पीढ़ी के लोग इसमें खत्म होते जा रहे हैं। पंजाब का एक गांव है मकबूलपुरा, वहां पर अधिकांश महिलाओं के पति की नशे के कारण मृत्यु हो चुकी है। कमोबेश पूरे गांव की यही स्थिति है। देश में नारकोटिक ड्रग एवं सायकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम 1985 बनाया गया था, जिसे प्रभावी बनाने के लिए 2014 में संशोधन बिल लाया गया। इसके आधार पर 2015 में नया कानून बनाया गया। नशीले पदार्थों के सेवन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर 1998 में राष्ट्रीय मादक द्रव्य निवारण संस्थान (एनसीडीएपी) की स्थापना कर मादक द्रव्य ब्यूरो को एक व्यापक भूमिका दी गई। इस यूनिट को मादक द्रव्यों की मांग में कमी लाने का काम सौंपा गया है। इसे पूरे देश में सेवाओं देने का विस्तृत कार्य करने का आदेश दिया गया।
एनडीपीएस एक्ट 1985 की धारा 71 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा के आदी लोगों की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना का अधिकार है। नोडल एजेंसी के रूप में सामाजिक न्याय और आधिकारिकता मंत्रालय, शराब और मादक द्रव्य दुरुपयोग निवारण स्कीम के अंतर्गत लोगों के लिए स्वैच्छिक संगठनों द्वारा चलाए जा रहे एकीकृत पुनर्वास केंद्र को सहायता प्रदान कर रहा है।
नशे का कारोबार करने वालों के लिए पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों का पूरे तौर पर पालन करने का निर्देश दिया है। बड़े स्तर पर इन प्रावधानों के उल्लंघन होने की स्थिति में कोर्ट ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को एक्ट की धारा 42 का पालन करने के लिए कहा है। धारा 42 के तहत जांच अधिकारी को बगैर किसी वारंट या अधिकार पत्र के तलाशी लेने, मादक पदार्थ जब्त करने और गिरफ्तार करने का भी अधिकार दिया है। साथ ही सावधानी और शुचिता बरतने के लिए यह प्रावधान है कि यदि अधिकारी को मादक पदार्थ के बारे में गुप्त सूचना मिलती है तो उसे तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना देनी चाहिए। जस्टिस स्वतंत्र कुमार और जस्टिस मदन लोकुर की पीठ ने एनडीपीएस कानून में संशोधन किया है। इसमें वरिष्ठ अफसरों को सूचित करने की अवधि 72 घंटे निर्धारित की गई। पहले इसके अंतर्गत तत्काल सूचना दिए जाने का प्रावधान किया गया था, अब इसमें बदलाव लाया है।
नशीले पदार्थ का सेवन करना, रखना, बेचना या उसका आयात निर्यात करना या फिर इस कारोबार में किसी की सहायता करना, सभी में गंभीर सजाओं के प्रावधान हैं। जुर्म के हिसाब से इसमें सजाएं तय है। इस कानून के अंतर्गत सरकार विशेष न्यायालयों की स्थापना त्वरित मुकदमा चलाने के लिए कर सकती है और जितने विशेष न्यायालयों की व्यवस्था की जरूरत हो स्थापना कर सकती है। इन विशेष न्यायालयों में जजों की नियुक्ति उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस करते हैं।
ऐसे अपराध जिनमें तीन वर्ष से अधिक का कारावास होता है, इनका ट्रायल विशेष न्यायालयों में होता है। इस प्रकार के अपराध के आरोपियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है। अगर न्यायिक मजिस्ट्रेट है तो 15 दिन की कस्टडी में आरोपी को भेज सकता है। फिर भी अगर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट है तो 7 दिन की हिरासत में आरोपी को भेज सकता है।
अप्रैल 2015 में माखन सिंह बनाम हरियाणा राज्य मामले में कहा गया है कि आरोपी को अधिकार है कि मादक पदार्थ मिलने पर उसकी तलाशी गजेटेड अधिकारी या मजिस्ट्रेट के सामने ली जाए। इस कानून की धारा 50 को तभी लागू माना जाता है, जब किसी व्यक्ति के पास से मादक पदार्थ मिला हो। माखनसिंह के केस में मादक पदार्थ गाड़ी से निकला था, उसके शरीर से नहीं, इसलिए इसमें धारा 50 लागू नहीं की जा सकी।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुलाए गए तीन सम्मेलनों- नारकोटिक्स ड्रग सम्मेलन 1961, साइकोट्रॉपिक्स पदार्थ 1971 के सम्मेलन तथा नारकोटिक्स ड्रग्स एवं सायकोट्रॉपिक्स पदार्थ 1988 में हस्ताक्षर कर इस पर वचनबद्धता दोहराई है।

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