नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को कड़ी फटकार लगाई है। SBI ने अदालत से चुनावी बॉन्ड की डीटेल्स चुनाव आयोग को सौंपने के लिए और वक्त मांगा था।इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछ लिया, ‘हमने 15 फरवरी को आदेश जारी किया था, आज 11 मार्च है।पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए? (हलफनामे में) कुछ कहा नहीं गया है।इसका खुलासा हो जाना चाहिए था… हम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से साफगोई चाहते हैं।’ सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने SBI की अपील खारिज कर दी।SC ने कहा कि SBI को पहले के आदेश के मुताबिक, 12 मार्च की शाम तक चुनाव आयोग को डेटा सौंपना होगा। चुनाव आयोग उस जानकारी को 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करेगा।
SBI ने अपील में SC से 30 जून तक की मोहलत मांगी थी।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि SBI के पास सारी सूचना आसानी से उपलब्ध है।अपील खारिज करते हुए SC ने SBI को अवमानना कार्रवाई की भी चेतावनी दी।
चुनावी बॉन्ड केस : सुप्रीम कोर्ट में SBI ने क्या दलील दी?
चुनावी बॉन्ड मामले में सोमवार को सुनवाई हुई।सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बेंच SBI की एक्सटेंशन एप्लीकेशन पर विचार कर रही थी। SBI के खिलाफ मामले में याचिकाकर्ता- एसोसिएशन फॅार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने अवमानना याचिका भी दायर कर रखी थी। SBI की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे पेश हुए।उन्होंने कहा कि बैंक को चुनावी बॉन्ड के खरीदारों और उन्हें भुनाने वालों की जानकारी अलग-अलग साइलों में सेव है।उसे जुटाने में थोड़ा समय लगेगा।साल्वे ने अदालत से 30 जून तक की मोहलत मांगी।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत ने बैंक से डीटेल्स मैच करने को नहीं कहा था, जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया था।सीजेआई ने कहा कि KYC रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि बैंक के पास सभी जरूरी जानकारियां थीं। साल्वे ने कहा कि ‘हमें बताया गया था कि यह सब सीक्रेट रहेगा।इसलिए हमने ऐसा मैकेनिज्म बनाया।हम नहीं चाहते कि अब किसी गलती से तूफान खड़ा हो जाए…’
SC ने लहजा सख्त करते हुए कहा, ‘गलती का कोई सवाल ही नहीं है। आपके पास KYC है।आप देश के नंबर 1 बैंक हैं।हम आपसे इसको हैंडल करने की अपेक्षा करते हैं।’ जस्टिस संजीव खन्ना ने SBI के सबमिशंस का हवाला देते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड के खरीदारों की जानकारी मेन ब्रांच के भीतर सील्ड कवर में रखी है। जज ने आगे कहा, ‘बस सीलबंद लिफाफे को खोलें, नामों का मिलान करें और डीटेल्स साझा करें।’
साल्वे ने माना कि SBI के पास खरीदारों का ब्योरा है लेकिन बॉन्ड नंबरों से मिलान में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि कुछ जानकारी डिजिटली सेव नहीं है, उसकी वजह से और मुश्किल आ रही है।हालांकि, अदालत ने SBI की एक न सुनी और अपील खारिज कर दी।
अदालत ने SBI के खिलाफ तत्काल अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इनकार किया।लेकिन चेतावनी दी कि अगर ताजा निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो जानबूझकर आदेश की अवहेलना के लिए कार्रवाई की जाएगी।
चुनावी बॉन्ड : सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला क्या है ?
अदालत ने SBI को जरा भी मोहलत देने से इनकार कर दिया। SBI को 12 मार्च, 2024 के कामकाजी घंटों की समाप्ति तक जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा, ‘हम भारत के चुनाव आयोग को जानकारी संकलित करने और 15 मार्च, 2024 की शाम 5 बजे से पहले अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं।’
चुनावी बॉन्ड मामले में आगे क्या होगा ?
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को मंगलवार (12 मार्च 2024) की शाम 5 बजे तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया करानी होगी। ऐसा न करने की सूरत में उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जा सकती है।सीजेआई चंद्रचूड़ ने SBI के टॉप मैनेजमेंट को इस बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘निर्देशों के अनुपालन पर एसबीआई अपने अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का एक हलफनामा दाखिल करेगा।’ सीजेआई ने आगे कहा, ‘हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि यदि एसबीआई इस आदेश में बताई गई समयसीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करता है तो यह न्यायालय जानबूझकर अवज्ञा के लिए उसके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए इच्छुक हो सकता है।’