मध्यप्रदेश : उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी के बाद मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला को लेकर कोर्ट का फैसला आया है। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भोजशाला का एएसआई सर्वे का आदेश दिया है। वकील विष्णु शंकर जैन ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर हाई कोर्ट ने उनकी अपील पर सर्वे की इजाजत दे दी है। इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को पांच एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है। छह सप्ताह में इस टीम को अपनी रिपोर्ट बनाकर सौंपनी होगी।
जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देव नारायण मिश्र की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक्सपर्ट कमेटी दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम सहित सभी उपलब्ध वैज्ञानिक तरीकों के साथ परिसर के पचास मीटर के दायरे में समुचित स्थानों पर जरूरत पड़ने पर खुदाई करा कर सर्वेक्षण करे।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, भोजशाला को सरस्वती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस मंदिर को बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि परिसर का ज्ञानवापी की तर्ज सर्वे कराया जाए। कोर्ट के आदेश में भोजशाला के GPR-GPS तरीके से सर्वे की बात कही गई है। इस तकनीकी (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) का मतलब होता है जमीन के अंदर विभिन्न स्तरों जांच करना। इसमें राडार का उपयोग किया जाता है। इस कारण इस तकनीकि से जमीन के अंदर की वस्तुओं के विभिन्न स्तर, रेखाओं और आकार को माप लिया जाता है. पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी होगी।
धार की भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है।