झारखंड:राजधानी राँची के बड़गाई क्षेत्र के 8.60 एकड़ जमीन घोटाले में ईडी के आरोपी हिलेरियस कच्छप की बीमारी से मौत हो गयी। ईडी ने जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हिलेरियस कच्छप को भी आरोपी बनाया था।हिलेरियस कच्छप बरियातू इलाके में रहते थे।मिली जानकारी के मुताबिक, हिलेरियस लंबे समय से बीमार थे और डायलिसिस पर थे। मंगलवार देर रात बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। हिलेरियस के परिवार वालों ने इस मामले में किसी से बात नहीं की,हालांकि पड़ोसियों ने बताया कि हिलेरियस लंबे समय से बीमार थे।उनकी किडनी फेल हो गई थी। हिलेरियस कच्छप की मौत को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
गौरतलब है कि पिछले शनिवार को ईडी ने राँची के बड़गाई इलाके के 8.46 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मामले में जांच पूरी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।आरोप पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ बड़गाई क्षेत्र के निलंबित अधिकारियों के अलावा राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी दोस्त आर्किटेक्ट विनोद सिंह और जमीन कारोबारी हिलेरियस कच्छप और जमीन मालिक बरियातू इलाके में रहने वाले राज कुमार पाहन शामिल हैं।
ईडी ने 31 जनवरी की देर रात हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था।उन्हें 1 फरवरी को जेल भेजा गया था, तब से वह जेल में ही हैं। गिरफ्तारी के 60वें दिन मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इससे पहले ईडी ने 3 अगस्त 2023 को सदर थाने में दर्ज केस के आधार पर ही भानु प्रताप प्रसाद के खिलाफ ईसीआईआर दर्ज की थी। बाद में इसी मामले में ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था।
जमीन पर हिलेरियस ने बनवाई थी चहारदीवारी
ईडी की चार्जशीट में बड़गाईं इलाके के बरियातू स्थित 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जे से लेकर दस्तावेजी फर्जीवाड़े तक का खुलासा हुआ है। आरोप पत्र में भूमि घोटाले में हिलेरियस की भूमिका का जिक्र किया गया है। पूरी जमीन पर चहारदीवारी हिलेरियस ने ही बनवाई थी।ईडी ने अपनी चार्जशीट में कई गवाहों के बयान लिए थे और यह भी दावा किया था कि जब सीएम रहते हुए पहली बार हेमंत सोरेन को समन भेजा गया था, तब से ही हेमंत सोरेन ने खुद को इस जमीन से दूर करने की कोशिशें शुरू कर दी थीं।सह अभियुक्त राजकुमार पाहन ने धोखाधड़ी में उसका साथ दिया।ईडी ने आरोप पत्र में गणेश पाहन, कोका पाहन और माखन पाहन के बयान का जिक्र किया है।तीनों का नाम जमीन रजिस्टर में दर्ज है।तीनों ने एजेंसी को बताया कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है, लेकिन 1980 के दशक में इस जमीन को अशोक जायसवाल ने खरीद लिया था।इसके बाद इस जमीन पर बंटवारा कर खेती की जाने लगी।वर्ष 2010-11 में जमीन पर शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने कब्जा कर लिया था। तीनों ने पीएमएलए को दिए बयान में बताया है कि जमीन पर कब्जा करने के बाद हिलेरियस कच्छप ने यहां बाउंड्री करा ली, वहीं स्थानीय अराजक तत्वों को यहां तैनात कर दिया गया। जिसके बाद उस जमीन पर कभी खेती नहीं हो सकी।