नई दिल्ली: प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हिंदू जनसंख्या में 1950 से 2015 तक 65 साल के दौरान 7.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही, मुस्लिम जनसंख्या में 43 फीसदी का इजाफा देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रक्रियाएं शामिल हैं।
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारत में हिंदुओं की जनसंख्या हिस्सेदारी में 1950 और 2015 के बीच 7.8% की तेजी से गिरावट आई है, जबकि कई भारत के पड़ोसी देशों में उनके बहुसंख्यक समुदाय की आबादी में उछाल देखा गया है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर के 167 देशों के रुझानों का अध्ययन किया। इस रिपोर्ट को मई 2024 में जारी किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक ओर जहां भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं की आबादी हिस्सेदारी कम हुई है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और सिखों सहित अन्य अल्पसंख्यकों की जनसंख्या हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, जैन और पारसियों की संख्या में कमी आई है। साल 1950 और 2015 के बीच की अवधि में भारत में मुस्लिम आबादी में 43.15% की वृद्धि हुई है, जबकि ईसाइयों में 5.38%, सिखों में 6.58% और बौद्धों में मामूली इजाफा देखा गया है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद ने 1950 और 2015 के बीच यानी 65 साल के जनसंख्या में हुए बदलावों पर अध्ययन किया है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट की मानें तो भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1950 में 84% से घटकर 2015 में 78% हो गई, जबकि इसी अवधि (65 वर्ष) में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है।भारत में बहुसंख्यक यानी हिंदुओं की आबादी 7.8 फीसदी घटी है।भारत की तरह ही पड़ोसी देश म्यांमार में भी बहुसंख्यकों की आबादी में 10% की गिरावट दर्ज की गई है। नेपाल का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां उसकी बहुसंख्यक (हिंदू) आबादी में 3.6 फीसदी की गिरावट हुई है।