झारखंड:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। बुधवार (15 मई) की शाम मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद गुरुवार (16 मई) को उन्हें राँची स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में पेश किया गया। ईडी ने उन्हें रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में जो पिटीशन दिया है, उसमें चौंकाने वाले मामलों का जिक्र है।
ईडी का दावा है कि 23 मार्च 2023 को गिरफ्तार ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन मुख्य सचिव वीरेंद्र राम से जुड़े केस में जांच से पता चला है कि वीरेंद्र राम टेंडर का कमीशन वसूलता था और मंत्री आलमगीर तक कमीशन का डेढ़ प्रतिशत हिस्सा पहुंचवाता था।कमीशन वसूलने और पहुंचाने का काम ग्रामीण विकास विभाग के सहायक अभियंता करते थे।
ईडी ने दावा किया है कि सितंबर 2022 में टेंडर कमीशन से वसूले गये 3 करोड़ रुपए एक सहायक अभियंता ने मंत्री आलमगीर आलम के एक करीबी तक पहुंचाया। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने भी पीएमएलए, 2002 के सेक्शन 50 के तहत दर्ज बयान में इस बात को स्वीकार किया है।इस मामले में 6 मई 2024 से हुई छापेमारी में अबतक 37.5 करोड़ रुपए बरामद किए जा चुके हैं।
ईडी का दावा है कि 6 मई को जिस जहांगीर आलम के राँची स्थित सर सैयद रेसिडेंसी फ्लैट से 32.2 करोड़ रु बरामद हुए थे, वे पैसे मंत्री आलमगीर आलम के हैं। उन पैसों को संजीव लाल के कहने पर जहांगीर आलम कलेक्ट करता था।जहांगीर आलम यह काम मंत्री के लिए ही करता था। जहांगीर आलम के घर से कई सरकारी दस्तावेज, सरकारी पत्र और सरकारी लेटर हेड भी मिले थे. इससे पता चलता है कि मंत्री के ओएसडी संजीव लाल कैश और कागजातों को छिपाने के लिए उस फ्लैट का इस्तेमाल करते थे।
रिमांड पिटीशन में ईडी ने इस बात का जिक्र किया है कि कमीशन का पूरा खेल ऑर्गनाइज तरीके से हो रहा था।इस काम में नीचे के कर्मचारी से लेकर ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं।पूरी डिलिंग कैश में होती थी।इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि भारी मात्रा में कैश की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है, जिसके खुलासे की कवायद चल रही है।ईडी ने कई गवाहों के बयान का हवाला देते हुए दावा किया है कि इस मनी लॉन्ड्रिंग में मंत्री आलमगीर आलम शामिल थे। ईडी अब इस नेक्सस में शामिल अन्य सफेदपोश तक पहुंचने की तैयारी में जुटी हुई है।