नई दिल्ली: हेमंत सोरेन की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने सभी तथ्य प्रस्तुत नहीं किए थे। कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि जब सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, तब उन्हें यह जानकारी क्यों नहीं दी गई कि उनकी जमानत अर्जी स्पेशल कोर्ट के सामने पेंडिंग है और निचली अदालत पहले ही चार्जशीट पर संज्ञान ले चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की नीयत सही नहीं लग रही है और ऐसा प्रतीत होता है कि वे दो अलग-अलग जगहों से कानूनी राहत पाने की कोशिश कर रहे थे। कोर्ट ने कहा, “अगर हमें पता होता कि आपकी अर्जी कहीं और ही पेंडिंग है, तो हम ऐसी सूरत में आपकी याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर ही नहीं करते।”
इस दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो हेमंत सोरेन की ओर से पेश हो रहे थे, ने गलती स्वीकार की और कहा, “इसमें मेरे मुवक्किल की गलती नहीं है, यह मेरी अपनी गलती है। हमारा मकसद किसी भी तरह से कोर्ट को गुमराह करना नहीं था।”
इस गलती का खामियाजा हेमंत सोरेन को भुगतना पड़ा, जिससे उन्हें चुनाव प्रचार करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सोरेन, जो झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, इस मामले के कारण चुनावी रैलियों में भाग नहीं ले पा रहे हैं, जिससे उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर असर पड़ा है।
कोर्ट की इस नाराजगी और सिब्बल की स्वीकारोक्ति के बाद यह साफ हो गया कि कानूनी प्रक्रिया में त्रुटि के कारण हेमंत सोरेन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सोरेन और उनकी कानूनी टीम इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं और आगामी चुनावों में उनका क्या रुख रहता है।