पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल जो कि भारत में तैयार हुई है चुकी हैं पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है बताते चलें की यह सजा नागपुर की एक अदालत के द्वारा सोमवार को सुनाई गई ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप है निशांतअग्रवाल को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी करने और जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था|

जॉइंट ऑपरेशन में किया गया था गिरफ्तार
निशांत अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस में बतौर सीनियर सिस्टम इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे इसके अतिरिक्त वह मिसाइल परियोजनाओं में शामिल थे अग्रवाल को आईएसआई को परियोजनाओं के बारे में गोपनीय जानकारी देने के आरोप में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र एटीएस तथा मलिक फूलचंद ने 2018 में नागपुर के पास से गिरफ्तार किया था गौरतलब है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस डीआरडीओ और रूस की मिलिट्री इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम किस संयुक्त उपक्रम से तैयार किया गया है बताते चलें कि यह भारत में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास में और निर्माण क्षमता में काम करता है इन सुपरसोनिक मिसाइलों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि यह जल, थल ,नभ और पानी के नीचेबट भी ऑपरेट कर सकते हैं|

इस्लामाबाद से बनाई गई थी फेसबुक आईडी
2018 में जब निशांत अग्रवाल की गिरफ्तारी एक ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान हुई थी तब यहाँ काफी आश्चर्यजनक था क्योंकि वह ब्रह्मोस एरोस्पेस के प्रोजेक्ट में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुका था पता तो चलें की निशांत अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट नेहा शर्मा और पूजा रंजन के जरिए संदिग्ध जानकारी को पाकिस्तान भेज रहा था यह दोनों अकाउंट इस्लामाबाद से संचालित हो रहे थे बताते चलें की ऐसा माना गया कि उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंट्स के द्वारा ऑपरेट किया जा रहा था|

कौन हैं निशांत अग्रवाल
निशांत अग्रवाल एक बहुत ही टैलेंटेड इंजीनियर है बताते चलें कि उसे डीआरडीओ का यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका था वह एनआईटी कुरुक्षेत्र का छात्र भी रहा है चार्जशीट के मुताबिक उसके लैपटॉप से तमाम गोपनीय फाइलें भी मिली थी इसके अतिरिक्त एक सॉफ्टवेयर भी पाया गया था जिससे लैपटॉप में मौजूद संवेदनशील तकनीकी जानकारीयों को विदेशों और असामाजिक तत्वों को भेजा जाता था|

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