झारखण्ड : लातेहार जिला पुलिस के समक्ष शुक्रवार को दो इनामी भाकपा माओवादी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।सरेंडर करने वाले नक्सलियों में भाकपा माओवादी संगठन के जोनल कमांडर नीरज सिंह खरवार और सालमन गंझु शामिल है।पलामू डीआईजी वाईएस रमेश, लातेहार डीसी गरिमा सिंह,एसपी अंजनी अंजन, सीआरपीएफ कमांडेंट वेद प्रकाश त्रिपाठी और सीआरपीएफ कमांडेंट केडी जोशी ने गुलदस्ता देकर आत्मसमर्पण करने वाला नक्सलियों को सम्मानित किया।
लातेहार पुलिस के द्वारा पिछले दो वर्षों से नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए सघन छापामारी अभियान के कारण लातेहार में नक्सली संगठन काफी कमजोर हुआ है। नक्सलियों का सबसे सेफ जोन बूढ़ापहाड़ का एरिया नक्सलियों के चंगुल से मुक्त होने के बाद नक्सली भयभीत भी हो गए हैं। इसी बीच लातेहार एसपी के द्वारा गांव-गांव में सरकार के आत्मसमर्पण नीति को प्रचारित प्रसारित भी काफी जोर-शोर से किया गया। खुद को अत्यंत कमजोर होता देख और सरकार के बेहतरीन आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर नक्सलियों ने हथियार डालने की योजना बनाई।
नक्सलियों के द्वारा जब आत्मसमर्पण नीति की पूरी जानकारी प्राप्त कर ली गई तो फिर शुक्रवार को दोनों नक्सलियों ने एक साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों के सरेंडर करने से भाकपा माओवादी संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। बताया जाता है कि नक्सली सालमन गंझु पिछले 22 वर्षों से माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था। इसके द्वारा एक दर्जन से अधिक हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दिया गया था।इसके खिलाफ लातेहार और लोहरदगा जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं।वहीं नक्सली नीरज सिंह खरवार पर 25 से अधिक नक्सली हिंसा के मामले विभिन्न थाना क्षेत्र में दर्ज है।नीरज सिंह खरवार पलामू के बाबुन गांव का रहने वाला है।यह वर्ष 2004 में माओवादी संगठन से जुड़ा और पिछले 8 वर्षों से बूढ़ापहाड़ के एरिया में सक्रिय था।
इस मौके पर पलामू डीआईजी वाईएस रमेश ने कहा कि झारखण्ड सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेकर नक्सली अपने जीवन को मुख्यधारा में ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि झारखण्ड सरकार की नई दिशा कार्यक्रम के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार के द्वारा सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं। उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटे और समाज के विकास में अपना योगदान दें।वहीं लातेहार डीसी गरिमा सिंह ने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।इसलिए सभी नक्सली सरकार के आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाते हुए आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा में लौटें।
वहीं लातेहार एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि लातेहार का एक भी गांव या इलाका ऐसा नहीं है जहां नक्सली अपना ठिकाना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के समक्ष अब एक ही रास्ता बचा है कि वह झारखण्ड सरकार के आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेकर हथियार डाल दें। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण नीति के तहत सरकार के द्वारा नक्सलियों को इनाम की राशि के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की सुविधा भी दी जाती है। जिसमें उनके आचरण के आधार पर 3 साल के बाद से सालाना आर्थिक मदद, आवास की सुविधा, चार डिसमिल जमीन की सुविधा, बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।