नई दिल्ली : भारत सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए आम बजट 23 जुलाई को संसद में पेश करेगी। इस बजट से इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं। इंडस्ट्री लीडर्स का मानना है कि आर्थिक वृद्धि जारी रखने के लिए ढांचागत सुधारों को जारी रखना होगा। इसके साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास भी करना होगा, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके।
इंडस्ट्री चैंबर्स के मुताबिक, सरकार को बजट में ढांचागत सुधारों, स्ट्रैटेजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, केंद्रीय सेक्टरोल इंसेंटिव और तर्कसंगत कर प्रणाली को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके जरिए भारत मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सकता है और मजबूती से आगे बढ़ने के साथ लंबे समय में एक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बना रह सकता है।
एसोचैम ने सुझाव दिया है कि परिवहन, एनर्जी, पानी की आपूर्ति और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के लिए निवेश को बढ़ाया जाए। इससे कनेक्टिविटी बढ़ेगी, उत्पादकता में इजाफा होगा और साथ ही प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पर्यावरण को लेकर बढ़ती चुनौतियों पर सुझाव देते हुए देश के अग्रणी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि सरकार को क्लीन टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स आदि को कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और परिवहन में प्रमोट करने के लिए नई नीतियां और इंसेंटिव लाने चाहिए।
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि सरकार को नियमों को आसान बनाना चाहिए। साथ ही अनुमति और परमिट देने में तेजी लानी चाहिए। साथ ही निवेश आकर्षित करने और परिचालन को तेज बनाने के लिए डिजिटाइजेशन का फायदा उठाना चाहिए।
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से लेकर 12 अगस्त तक चलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि अगले पांच वर्ष गरीबी के खिलाफ काफी अहम होंगे।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से व्यापार करने की लागत को कम करने के लिए भूमि पर स्टांप शुल्क को तर्कसंगत बनाने और बिजली दरों पर क्रॉस-सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का अनुरोध किया है।
साथ ही सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया है कि कोयला मूल्य निर्धारण, आवंटन और परिवहन के लिए कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपीएस) को बिजली क्षेत्र के बराबर लाया जाना चाहिए।
सरकार को नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी के तहत पेपरलेस लॉजिस्टिक्स के लिए डिजिटाइजेशन जारी रखना चाहिए। इससे समय की बचत होगी और लागत में कमी आएगी।
सीआईआई ने आगे कहा कि सरकार को कॉरपोरेट टैक्स को चालू दर पर रखना चाहिए, जिससे व्यापारी टैक्स को लेकर निश्चिंत रहे। साथ ही जोर देते हुए कहा कि पूंजीगत कर ढांचे को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए।