ढाका : बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के भारी विरोध प्रदर्शन के बीच हाई कोर्ट के 30 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को पलट दिया है। हालांकि, अभी 5 प्रतिशत आरक्षण बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 30 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को गैरकानूनी बताया है। हालांकि अभी ये आरक्षण खत्म नहीं हुआ है। बांग्लदेश में हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंसा भड़क गई है, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के बाद, कुल 778 भारतीय छात्र इस पड़ोसी देश से स्वदेश लौटे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला कई हफ्तों के हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है। ज्यादातर प्रदर्शन छात्रों के नेतृत्व में हो रहे थे, जो मंगलवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद घातक हो गए। पुलिस ने सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं और धुएं के ग्रेनेड फेंके।
यहां तक कि हिंसा को देखते हुए सरकार ने कि पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया और पुलिस को किसी भी प्रदर्शनकारी को देखते ही गोली मारने तक का आदेश दे दिया। बांग्लादेशी अधिकारियों ने मृतकों और घायलों की कोई आधिकारिक संख्या साझा नहीं की है, लेकिन समाचार पत्रों के आंकड़ों के अनुसार इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक कम से कम 135 लोग मारे गए हैं।
दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुछ समूहों के लिए 2018 तक 56% आरक्षण का प्रावधान था। इन्हें बांग्लादेश में बेहद आकर्षक माना जाता है। इन समूहों में विकलांग व्यक्ति (1%), स्वदेशी समुदाय (5%), महिलाएँ (10%), अविकसित जिलों के लोग (10%) और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार (30%) शामिल हैं।
इससे योग्यता के आधार पर चयन के लिए केवल 44% सीटें बचीं। साल 2018 में छात्र समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण हसीना सरकार ने कोटा पूरी तरह से खत्म कर दिया। फिर जून 2024 में हाई कोर्ट फिर बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलट दिया और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण को खत्म करने को अवैध ठहराया।