संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) एवम किसान मजदूर मोर्चा ने साझा बयान जारी करते हुए कहा कि इस बजट से किसानों को बहुत निराशा हुई है। बजट में MSP गारंटी कानून, किसानों व मजदूरों की कर्ज़मुक्ति एवम स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार MSP देने सम्बन्धी मुद्दों पर कोई भी कदम नहीं उठाया गया। इस वर्ष कृषि बजट कुल बजट का 3.15% रहा, किसान नेताओं ने कहा कि हम देश की आबादी का 50 फीसदी हिस्सा हैं और हमारे लिए बजट मात्र 3.15 %, यह किसानों व मजदूरों के साथ घोर अन्याय है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने बजट में खाद्यान तेल व दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए अभियान चलाने की बात कही लेकिन जब तक MSP गारंटी कानून नहीं बनेगा तब तक खाद्यान तेलों, दलों के मामलों में आत्मनिर्भरता व फसलों का विविधिकरण सम्भव नहीं है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने खेती में 108 नई वैरायटी के बीजों को लाने की बात कही है लेकिन सरकार को पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि हमारे देशी बीजों को संरक्षित करने के लिए सरकार क्या कर रही है? केंद्र सरकार की नीतियां किसानों को आत्मनिर्भरता से बाजार पर निर्भरता की तरफ लेकर जाने का प्रयास कर रही हैं। किसानों ने ये भी कहा कि पिछले 5 सालों में वित्त मंत्रालय ने जितना बजट कृषि मंत्रालय को दिया उसमें से भी कृषि मंत्रालय ने 1 लाख करोड़ वापस लौटा दिया जिस से यह साबित होता है कि वर्तमान सरकार खेती-किसानी के मुद्दों पर गंभीर नहीं है।