चंडीगढ़ : आखिर श्रीलंका ने पहली बार महिला एशिया कप अपने नाम करने में सफलता हासिल की। जिस तरह का फाइनल उसने भारत के खिलाफ खेला उसकी तारीफ की जानी चाहिए। उनकी कप्तान चमेरी अट्टापट्टू ने भारतीय गेंदबाजी को पूरी तरह से पंगु साबित कर दिया। भारत की किसी गेंदबाज को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कोई योजना नहीं थी। गेंदबाजी के अलावा फील्डिंग भी निहायत खराब थी। आसान रन दिए गए, रनआउट के मौके छोड़े गए। श्रीलंका की बल्लेबाज शॉर्ट प्वाइंट, शॉर्ट कवर या शॉर्ट मिड ऑन से भी रन चुराती रहीं।
मैच में भारत की शुरुआत अच्छी थी। उस पिच पर जहां कोई समस्या नहीं थी भारत ने 165 का स्कोर खड़ा कर दिया था। हालांकि हालात के मुताबिक इस में 20-30 रन और जुड़ने चाहिए थे पर श्रीलंका के गेंदबाजों की अनुशासित गेंदबाजी और फील्डिंग के कारण ऐसा न हो सका। समृति मांधना के अलावा भारत की कोई बल्लेबाज अधिक प्रभावित नहीं कर पाई। देखा जाए तो इस पिच पर विकेट टू विकेट गेंदबाजी करने की ज़रूरत थी। शेफाली वर्मा ऐसी ही गेंदबाजी की शिकार हुई। 20-20 क्रिकेट में यही गेंदबाजी सफल रही है। इस तरह की गेदों पर क्रॉस बेटेड शॉट हमेशां जोखिम भरे होते हैं। इन गेंदों को मारने के लिए सीधे बल्ले का इस्तेमाल करना पड़ता है। वक्त के साथ उन लोगों की यह गलतफहमी दूर हो जाएगी जो ये समझते हैं कि इस फॉर्मेट में क्रिकटिंग शॉट्स की ज़रूरत नहीं बस बल्ला घुमाते रहो।
हालांकि भारत का स्कोर थोड़ा कम था पर आराम से डिफेंड किया जा सकता था अगर गेंदबाजी अनुशासित की होती। चमेरी अट्टापट्टू को उसकी ऑफ स्टंप के बाहर छोटी लंबाई की गेंदें खिलाई जाती रही। कप्तान हरमनप्रीत ने कभी भी स्लिप में फिल्डर नहीं रखा जबकि चमेरी को चार पांच चौके उसी क्षेत्र से मिले। गेंद हवा में गई पर वहां कभी फिल्डर था ही नहीं। इसके अलावा उसके खिलाफ भारत की कोई योजना भी नहीं थी। पूजा के पास बाउंसर का हथियार है पर उसका इस्तेमाल नहीं हुआ। रेणुका सिंह, जो की बहुत अच्छी इन स्विंग गेंद डालती है ने या तो बहुत छोटी या ओवर पिचड गेंदबाजी की। बाएं हाथ की चमेरी के खिलाफ रेणुका सबसे प्रभावी गेंदबाज हो सकती थी पर बिना स्लिप उसकी इन स्विंग जो कि चमेरी के लिए आउट सविंग पड़ रही थी किसी काम नहीं आई। चमेरी की पूरी पारी में केवल एक ही गेंद ऐसी पड़ी जिसकी लाइन और लेंथ बिलकुल सही थी और उसी पर वह बोल्ड हो गई। उसे पता ही नहीं चला की गेंद कब उसकी विकेट्स को ले उड़ी।
अब विश्व कप सामने है। उसे देखते हुए टीम की कमज़ोरियों को दूर करना ज़रूरी है। खास तौर से गेंदबाजी और फील्डिंग में सुधार की काफी गुंजाइश है। भारत की एक युवा प्रतिभाशाली टीम है इससे भविष्य में उम्मीदें करनी चाहिए।