औद्योगिक शराब उत्पादन पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट  ने औद्योगिक शराब के उत्पादन को लेकर फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने 7 जजों की पीठ का फैसला पलटते हुए कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता। पीठ ने कहा कि केंद्र के पास औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन पर विनियामक शक्ति का अभाव है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 8:1 के बहुमत से दिया है।

बता दें कि साल 1997 में सात जजों की पीठ ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन को विनियमित करने का अधिकार दिया था। साल 2010 में इस मामले को नौ जजों की पीठ के पास समीक्षा के लिए भेजा गया। नौ जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि ‘औद्योगिक एल्कोहल मानव उपभोग के लिए नहीं है।’ पीठ ने कहा कि ‘संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची की प्रविष्टि 8, राज्यों को मादक मदिरा के निर्माण, परिवहन, खरीद और बिक्री पर कानून बनाने का अधिकार देती है।’ वहीं केंद्र सरकार के अधिकार वाले उद्योगों की सूची संघ सूची की प्रविष्टि 52 और समवर्ती सूची की प्रविष्टि 33 में दी गई है। समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य विधानमंडल, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन केंद्रीय कानून को राज्य के कानून पर प्राथमिकता देने का प्रावधान है।

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