नई दिल्ली : भारत और कनाडा के बीच पैदा हुआ तनाव थमने की बजाय बढ़ता जा रहा है। वहीं इसी बीत कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बड़ा फैसला लिया है। जिसका सीधा असर भारतीयों पर होने वाला है। पीएम ट्रूडो ने 2025 से विदेशी अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती के लिए नियम सख्त कर दिए हैं। उन्होंने इसे ‘कनाडा फर्स्ट’ का नाम दिया है।
ट्रूडो ने सोशल मीडिया पर बताया कि कंपनियों को नौकरी में अब कनाडाई नागरिकों को प्राथमिकता देनी होगी। कनाडा की कंपनियों को अब विदेशी कर्मचारियों को अस्थायी तौर पर नौकरी पर रखने से पहले ये बताना होगा कि उन्हें कनाडा का योग्य नागरिक नहीं मिला। ट्रूडो ने कहा कि यह निर्णय ‘अस्थाई’ है और कनाडा की आबादी में हो रहे इजाफे को रोकने के लिए लिया गया है। ट्रूडो सरकार के इस फैसले आ असर कनाडा में रहने वाले लोगों पर होने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रूडो सरकार के इस फैसले से प्रवासी और युवाओं के बीच बेरोजगारी बढ़ सकती है। भारतीय छात्र शॉपिंग मॉल, फूड स्टोर और रेस्त्रां में काम कर रहे हैं। कनाडा में 2023 में भारतीय अस्थाई वर्करों की संख्या सबसे ज्यादा थी। कुल 1.83 लाख अस्थाई कर्मचारियों में से 27 हजार भारतीय थे।
कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने गुरुवार को कहा कि एक साल पहले हमने 2025 और 2026 में 5-5 लाख लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया था, लेकिन हमें ये बदलना पड़ रहा है। कनाडा की जनसंख्या वृद्धि विकसित देशों में सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक, कनाडा की आबादी 2023 से 2024 तक 3.2% यानी 13 लाख बढ़ी। यह 1957 के बाद सबसे बड़ी सालाना वृद्धि है। कनाडा में पिछले एक साल में जनसंख्या में जितना इजाफा हुआ, उसका 97% अप्रवासियों को नागरिकता देने की वजह से हुआ है। कनाडा की 2021 की जनगणना के मुताबिक, 23% आबादी विदेश में जन्मी थी, जिन्हें बाद में कनाडा की नागरिकता मिली। 2021 तक ज्यादातर अप्रवासी एशिया और मिडिल ईस्ट के थे। कनाडा में हर पांच में एक अप्रवासी भारतीय है। मिल ने कहा- हम अगले 3 सालों में अपने यहां आने वाले प्रवासियों की संख्या में कमी लाएंगे।