नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बंद हो चुकी एयरलाइन जेट एयरवेज को जालान कलरॉक कंसोर्टियम को हस्तांतरित करने के एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आज 7 नवंबर को दिक्कतों से जूझ रही जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने यानी कि इसकी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है।
एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज का मालिकाना हक मंजूर हो चुके रिजॉल्यूशन प्लान के तहत जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) को देने का फैसला सुनाया था। हालांकि इस फैसले के खिलाफ एसबीआई और बाकी क्रेडिटर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज को फिर से ट्रैक पर लाने के लिए कंसोर्टियम की प्रस्तावित समाधान योजना को रद्द कर दिया और कहा कि कंसोर्टियम निर्धारित समय में पहला किश्त का पैसा भी नहीं डाल सकी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को 16 अक्टूबर को ही सुरक्षित कर लिया था और इसे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की पीठ ने सुनाया। चीफ जस्टिस 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। जालान कालरॉक ने 150 करोड़ रुपये की जो बैंक गारंटी की थी, उसे भी जब्त कर लिया गया है।
क्या है पूरा मामला – वित्तीय दिक्कतों के चलते जेट एयरवेज 2019 में बंद हो गई थी। इसके सबसे बड़े लेंडर एसबीआई ने एनसीएलटी मुंबई में दिवालिया कार्यवाही शुरू की थी, और इसके बाद कंपनी के रिजॉल्यूशन की प्रोसेस शुरू की गई। वर्ष 2021 में जालान-कालरॉक ने इसके लिए सफल बोली लगाई। हालांकि यह मामला और आगे बढ़ा और मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई गई। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कंसोर्टियम को एसबीआई और कंसोर्टियम के ज्वाइंट एस्क्रो खाते में 150 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था और ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई से जूझने को लेकर आगाह भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT से यह भी कहा था कि वह लेंडर्स की याचिका पर मार्च 2024 तक फैसला ले जिसमें जेट एयरवेज के स्वामित्व को JKC को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। 12 मार्च को NCLAT ने जेट एयरवेज का स्वामित्व JKC को ट्रांसफर करने के फैसले को सही ठहराया था। इससे पहले NCLT ने जनवरी में JKC को स्वामित्व ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी और लेंडर्स से 90 दिनों के भीतर स्वामित्व ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।