नई दिल्ली : जैसलमेर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में बदलाव किए गए हैं, जिनका सीधा असर मध्यम वर्ग की जेब पर पड़ेगा।
बैठक में ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक्स, जिनमें 50% से अधिक फ्लाई ऐश होता है, पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 12% कर दी गई है। यह फैसला निर्माण क्षेत्र को राहत देगा। लेकिन पॉपकॉर्न खाने वालों के लिए बुरी खबर है।
अब पॉपकॉर्न पर भी अलग-अलग दरों से जीएसटी लागू किया जाएगा। बिना पैकेजिंग और लेबल वाले साधारण नमक और मसालों से बने पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लगाया जाएगा, क्योंकि इसे आम उपयोग की वस्तु माना गया है। वहीं, पैकेज्ड और लेबल वाले पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी निर्धारित किया गया है, जिसे प्रोसेस्ड फूड की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा, चीनी (जैसे कारमेल) से बने पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगेगा, क्योंकि इसे “चीनी कन्फेक्शनरी” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
पुरानी गाड़ियों पर जीएसटी बढ़ा
पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ियों, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं, पर जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है। इससे पुरानी गाड़ियां खरीदना महंगा हो जाएगा। बीमा मामलों पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है और इस मुद्दे को आगे की जांच के लिए भेज दिया गया है।
अन्य वस्तुओं पर भी विचार
जीएसटी काउंसिल 148 वस्तुओं पर लग रहे टैक्स दरों पर भी विचार कर रही है। इनमें लग्जरी वस्तुएं जैसे घड़ियां, पेन, जूते और परिधान पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव है। सिन गुड्स (जैसे शराब और तंबाकू) के लिए 35% टैक्स स्लैब शुरू करने पर भी चर्चा हो रही है। हालांकि, फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स जैसे स्विगी और ज़ोमैटो पर टैक्स दर 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।