हरियाणा मुख्यमंत्री द्वारा यमुनानगर के आदि बद्री क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव 2025 का शुभारंभ किया

Published Date: 29-01-2025

यमुनानगर : बुधवार को सरस्वती उदगम स्थल आदि बद्री यमुनानगर में अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव-2025 का हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा शुभारंभ हो चुका है। पिहोवा तीर्थ पिहोवा में सरस् मेला 04 फरवरी तक चलेगा। 01 फरवरी तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान द्वारा सरस्वती नदी पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सनातन सभ्यता और संस्कृति का उद्गम स्थल, विकसित भारत 2047 के लिए दृष्टि और क्षितिज आयोजित होगा तथा 2 फरवरी को पिहोवा तीर्थ पिहोवा में अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव का समापन होगा।
सरस्वती बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमिच ने जानकारी दी कि गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का भारत की संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों से गहरा नाता है। ये पवित्र नदियां आज भी भारत की पहचान है। महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती शिवालिक पहाडिय़ों से थोड़ा नीचे आदिबद्री से निकलती थी। यह नदी हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात में लगभग 1600 किलोमीटर तक प्रवाहित होते हुए अंत में अरब सागर में मिलती थी। लेकिन आज सरस्वती नदी विलुप्त हो गई है।
  सरस्वती नदी की महत्ता को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए सरस्वती को नर्मदा और साबरमती के जल के साथ जोडक़र पुनर्जीवित करने के प्रयास किये थे। उसी प्रकार हरियाणा में भी नदियों को जोडक़र व सरस्वती सरोवरों और जलाशयों का निर्माण करके सरस्वती को फिर से प्रवाहित करने का प्रयास हरियाणा सरकार द्वारा किया जा रहा है।
सर्वे ऑफ इंडिया और हरियाणा के राजस्व रिकॉर्ड में इस नदी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। हरियाणा सरकार ने माँ सरस्वती को फिर से धरातल पर लाने का बीड़ा उठाया है। यह काम हरियाणा की गौरवशाली संस्कृति और भारतीय धरोहर से जुड़ा है। यह परियोजना सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पुरातात्विक विरासत को नई पीढिय़ों तक ले जाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश के पानी को भी नदी में प्रवाहित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। सरस्वती नदी की पवित्रता की रक्षा करने के लिए यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और कैथल में गंदे पानी के उपचार के लिए 25 तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं का निर्माण किया गया है।
  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सरस्वती नदी को धरा पर लाने के प्रोजेक्ट के लिए ज़ी जान लगाने वाले हरियाणा धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमिच की तारीफ की और कहा कि उनके बगैर यह कार्य संभव नहीं हो सकता था।
  कार्यक्रम में हरियाणा विद्युत विनियामक बोर्ड के सदस्य मुकेश गर्ग ने भी कहा कि सरकार ने एक ऐसे व्यक्ति धूमन सिंह किरमिच को चुना है जो इस प्रोजेक्ट को सिरे लगाएगा। एक डैम बनने की प्रक्रिया के लिए 25- 30 साल लग जाते हैं उनके नेतृत्व में यह प्रोजेक्ट टेंडर स्टेज पर आ गया है।
  मुकेश गर्ग ने  बताया कि सरस्वती नदी संस्थान के संस्थापक  माननीय श्री दर्शन लाल जैन  जिन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा  उनका एक बार संपर्क प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ वांकर से हुआ और डॉ वांकर  ने सरस्वती को पुन: धरती पर प्रवाहित करने के लिए एक सर्वेक्षण आरंभ किया और उस सर्वेक्षण में डॉ वांकर आदि बद्री से लेकर जहां पर भी सरस्वती की धारा है उसे धारा को देखते हुए हरियाणा और राजस्थान होते हुए गुजरात तक गए और उस यात्रा में लक्ष्य  बिंद्रा, माननीय दर्शन लाल जैन साथ थे। 1998 में राष्ट्रीय सरस्वती नदी शोध संस्थान नामक एक संस्था बनी उसी संस्था के माध्यम से सरस्वती को धरती पर पुन: प्रवाहित करने के लिए प्रयास आरंभ हुए और इसरो से संपर्क किया गया और इसरो के माध्यम से जब भू सर्वेक्षण करवाया गया तो वह पूरी की पूरी धारा विद्यमान पाई गई जो कभी सरस्वती पहले प्रवाहित होती थी बाद में विलुप्त हो गई थी तो उसको पुन: प्रवाहित करने का जो कार्य माननीय दर्शन लाल जी ने आरंभ किया वह आज पूर्ण होता दिखाई दे रहा है।
सरस्वती हेरिटेज बोर्ड उपाध्यक्ष धूमन सिंह ने सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का जब से कार्यभार संभाला है तब से उनकी एक ही जिद है कि सरस्वती को पुन: धरा पर प्रवाहित किस प्रकार से कितनी जल्दी किया जाए और उनके अथक प्रयास से भी यह कार्य जल्द पूरा होगा।
कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने एक वाकिये का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार ब्रह्म सरोवर पर जाते हुए धूमन सिंह किरमिच व्यर्थ चलते पानी की टूटियां बंद कर रहे थे। और मुख्यमंत्री ने धूमन सिंह किरमिच को इसी काम पर लगा दिया है। सरस्वती नदी को धरा पर लाने का काम धूमन सिंह किरमिच ही कर सकता है इस पावन कार्य के लिए वह बधाई के पात्र हैं।

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