अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ में भारी वृद्धि करते हुए इसे 245 प्रतिशत कर दिया है। यह कदम चीन द्वारा जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने आयात पर शुल्क 125 प्रतिशत तक बढ़ाने के बाद उठाया गया है। पहले अमेरिका द्वारा चीनी सामान पर 145 प्रतिशत शुल्क लगाया जा रहा था, लेकिन अब इसमें एक साथ 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
अमेरिका का यह फैसला काफी सख्त माना जा रहा है, खासकर तब जब उसने भारत समेत कई अन्य देशों पर लगाए गए शुल्क को 90 दिनों के लिए रोक दिया है। माना जा रहा है कि इस अवधि में अमेरिका इन देशों के साथ व्यापार समझौते कर सकता है। भारत और अमेरिका के बीच तो बैकचैनल से व्यापार समझौते पर बातचीत भी शुरू हो गई है और संभावना है कि इसके लिए मई से बैठकों का दौर भी शुरू हो सकता है।
चीन के प्रति अमेरिका का रुख स्पष्ट है कि वह शुल्क का जवाब शुल्क से देगा और चीन को अपनी गलती माननी चाहिए। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिका दूसरे देशों के सामान पर कम कर लगाता है, जबकि चीन और भारत जैसे कई देश उसके निर्यात पर भारी कर वसूलते हैं। इसी के जवाब में अमेरिका ने यह व्यापार युद्ध शुरू किया है।
व्हाइट हाउस का कहना है कि चीन का रवैया अड़ियल है, जबकि दुनिया के लगभग 75 देशों ने व्यापार समझौते के लिए उससे संपर्क किया है। इसी कारण अमेरिका ने कई देशों पर शुल्क को 90 दिनों के लिए टाल दिया है, ताकि इस दौरान किसी सहमति पर पहुंचा जा सके। इस अवधि में केवल 10 प्रतिशत का सामान्य शुल्क ही लागू रहेगा। गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत पर भी 26 प्रतिशत शुल्क लगाया था, जिसे फिलहाल रोक दिया गया है। इसी का सकारात्मक असर भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है और कई दिनों की गिरावट के बाद अब तेजी का रुख है।